• 25/06/2025

4 एस्ट्रोनॉट के साथ अंतरिक्ष रवाना होने वाले कौन हैं शुभांशु शुक्ला, कब तक रहेंगे स्पेस में और क्या है Axiom-4 मिशन ? जानें सब कुछ

4 एस्ट्रोनॉट के साथ अंतरिक्ष रवाना होने वाले कौन हैं शुभांशु शुक्ला, कब तक रहेंगे स्पेस में और क्या है Axiom-4 मिशन ? जानें सब कुछ

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भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने इतिहास रचते हुए 41 साल बाद भारत का प्रतिनिधित्व अंतरिक्ष में करने के लिए उड़ान भरी है। शुभांशु, Axiom-4 (Ax-4) मिशन के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना हुए हैं। यह मिशन 22 जून, 2025 को अमेरिका के नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, फ्लोरिडा से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और ड्रैगन अंतरिक्षयान के जरिए लॉन्च हुआ। शुभांशु के साथ मिशन में अमेरिका की पूर्व नासा एस्ट्रोनॉट पैगी व्हिटसन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोज़ उज़नांस्की-विस्निव्स्की और हंगरी के टिबोर कपु शामिल हैं। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है, क्योंकि 1984 में राकेश शर्मा के बाद शुभांशु दूसरे भारतीय हैं, जो अंतरिक्ष में गए हैं।

क्या है मिशन का उद्देश्य और शुभांशु की भूमिका

Axiom-4 एक निजी अंतरिक्ष मिशन है, जो नासा, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के सहयोग से संचालित हो रहा है। शुभांशु इस मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं और कमांडर के सहायक के रूप में लॉन्च, डॉकिंग, अनडॉकिंग और पृथ्वी पर वापसी के दौरान अंतरिक्षयान के संचालन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएंगे। मिशन की अवधि 14 दिन की है, जिस दौरान चार सदस्यीय दल 31 देशों की ओर से 60 वैज्ञानिक प्रयोग करेगा, जिनमें से सात भारत के हैं। इन प्रयोगों में माइक्रोग्रैविटी में मानव मांसपेशियों की रीजनरेशन, फसलों के बीजों पर अंतरिक्ष यात्रा के प्रभाव और अन्य जैविक अध्ययन शामिल हैं।

कौन हैं शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla: India’s Pride)?

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 10 अक्टूबर, 1985 को जन्मे शुभांशु शुक्ला भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन हैं। उन्होंने 2005 में पुणे के राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) से स्नातक किया और 2006 में वायुसेना अकादमी से प्रशिक्षण पूरा किया। 2,000 घंटे से अधिक उड़ान अनुभव के साथ, शुभांशु ने सुखोई-30 MKI, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 जैसे विमानों को उड़ाया है। 2019 में इसरो ने उन्हें गगनयान मिशन के लिए चुना, और 2020 में उन्होंने रूस के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में प्रशिक्षण लिया। शुभांशु ने इस मिशन को 1.4 अरब भारतीयों की यात्रा करार दिया है, जो भारत के अंतरिक्ष सपनों को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

भारत के अंतरिक्ष सपनों को नई उड़ान

Axiom-4 मिशन भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान कार्यक्रम के लिए भी महत्वपूर्ण है, जो 2027 में भारत का पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा। इसरो ने इस मिशन के लिए 550 करोड़ रुपये का निवेश किया है, और शुभांशु का अनुभव गगनयान की तैयारियों को मजबूत करेगा। इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने कहा कि यह मिशन भारत के युवाओं को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रेरित करेगा। मिशन के दौरान शुभांशु भारतीय छात्रों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत करेंगे, ताकि युवा पीढ़ी को अंतरिक्ष विज्ञान के प्रति उत्साहित किया जा सके।

6 बार टाला गया Axiom-4 मिशन

Axiom-4 मिशन को कई बार स्थगित करना पड़ा। पहले यह मिशन 29 मई, 2025 को निर्धारित था, लेकिन फाल्कन-9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लीक और ISS के रूसी हिस्से में तकनीकी खराबी के कारण इसे 8 जून, 10 जून और 11 जून तक टाला गया। अंततः 22 जून, 2025 को लॉन्च की तारीख तय की गई, जब सभी तकनीकी समस्याओं का समाधान हो गया। इसरो, नासा और स्पेसएक्स की टीमें इस मिशन की सफलता के लिए मिलकर काम कर रही हैं।

भारत का अंतरिक्ष में बढ़ता कद

यह मिशन भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की मजबूती को दर्शाता है। इसरो ने हाल के वर्षों में चंद्रयान, आदitya-L1 और स्पाडेक्स जैसे मिशनों के साथ वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज की है। शुभांशु शुक्ला का ISS मिशन भारत के अंतरिक्ष सपनों को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का प्रतीक है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजने और 2035 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य रखा है। शुभांशु की यह यात्रा उस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।