- 06/09/2023
ED: CM के सलाहकार विनोद वर्मा के परिवार से पूछताछ, बेटों और बहनोई को लेकर पहुंचे ED दफ्तर, कल पत्नी को भी बुलाया
ऑनलाइन सट्टा ऐप ‘महादेव बुक’ मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने छत्तीसगढ़ के CM भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के परिवार को भी पूछताछ के लिए दफ्तर बुलाया है। विनोद वर्मा खुद अपने दोनों बेटों पुनर्वसु, तथागत और बहनोई तुकेन्द्र वर्मा को राजधानी रायपुर स्थित ईडी के दफ्तर ले गए। विनोद वर्मा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गुरुवार को उनकी पत्नी जया को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया है और वे उन्हें भी लेकर जाएंगे।
विनोद वर्मा ने ट्वीट कर कहा कि केन्द्र सरकार के इशारे पर एजेंसियां चाहे जो कर ले लेकिन वे भूपेश बघेल और उनकी टीम के हौसले तोड़ नहीं सकती।
ईडी ने अब मेरे परिवार को बुला लिया है। मैं दोनों बेटों पुनर्वसु, तथागत और बहनोई तुकेंद्र वर्मा को ईडी के दफ़्तर छोड़ आया हूं।
कल मेरी पत्नी जया को बुलाया गया है।
केंद्र सरकार के इशारे पर एजेंसियां चाहे जो कर लें वे @bhupeshbaghel जी और उनकी टीम के हौसले नहीं तोड़ सकतीं। pic.twitter.com/bfqbRtcceX
— Vinod Verma (@patrakarvinod) September 6, 2023
आपको बता दें 23 अगस्त को ईडी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा, सीएम के दोनों ओएसडी आशीष वर्मा और मनीष बंछोर के आवास पर छापा मारा था। जिसके बाद ईडी ने 28 अगस्त को विनोद वर्मा से ईडी दफ्तर में पूछताछ की थी और अब उनके परिवार को तलब किया है।
मैग्जीन में छपी कहानी; छापे का आधार
ईडी छापे के बाद विनोद वर्मा ने कांग्रेस प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ईडी द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को गलत बताया था। उन्होंने ईडी की कार्रवाई को लूट और डकैती बताया था। इसके साथ ही उन्होंने ईडी द्वारा ऑनलाइन सट्टा महादेव बुक मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी ASI चंद्रभूषण वर्मा से संबंध होने के आरोपों को भी खारिज कर दिया था। उन्होंने ईडी की पूरी कार्रवाई के पीछे एक मैग्जीन में छपी स्टोरी को बताया था।
विनोद वर्मा पर ईडी के आरोप
गौरतलब है कि ईडी ने ऑनलाइन सट्टा महादेव बुक और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में एएसआई चंद्रभूषण वर्मा सहित 4 लोगों को गिरफ्तार किया था। मामले में ईडी ने प्रेस नोट जारी कर कहा था कि चंद्रभूषण वर्मा का विनोद वर्मा से संबंध है। इसी संबंध का फायदा उठाते हुए उसने पुलिस के बड़े अधिकारियों और सत्ता से जुड़े नेताओं को 65 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। इसके साथ ही ईडी ने आरोप लगाया था कि विनोद वर्मा के जरिए ही एएसआई चंद्रभूषण वर्मा की पहुंच मुख्यमंत्री कार्यालय तक थी।