- 15/04/2025
रॉबर्ट वाड्रा लैंड स्कैम: IAS अशोक खेमका ने उजागर की थी गड़बड़ी, कांग्रेस सरकार ने तत्काल किया था तबादला, जानें पूरा मामला विस्तार से


हरियाणा के शिकोहपुर लैंड डील घोटाले में रॉबर्ट वाड्रा एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के घेरे में हैं। इस मामले की शुरुआत 2012 में तब हुई थी, जब IAS अधिकारी अशोक खेमका ने वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और रियल एस्टेट दिग्गज DLF के बीच 58 करोड़ रुपये के सौदे में अनियमितताएं उजागर की थीं। खेमका की कार्रवाई के कुछ ही घंटों बाद कांग्रेस सरकार ने उनका तबादला कर दिया, जिससे यह मामला राष्ट्रीय सुर्खियों में आ गया।
क्या है शिकोहपुर लैंड स्कैम?
यह मामला गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन के सौदे से जुड़ा है। 12 फरवरी 2008 को रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने इस जमीन को 7.5 करोड़ रुपये में खरीदा। अगले ही दिन जमीन का म्यूटेशन (स्वामित्व हस्तांतरण) कर दिया गया, जो आमतौर पर तीन से छह महीने लेता है। 28 मार्च 2008 को हरियाणा की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने स्काईलाइट को 2.7 एकड़ पर हाउसिंग कॉलोनी बनाने का लाइसेंस दे दिया, जिससे जमीन की कीमत रातोंरात बढ़ गई। जून 2008 तक DLF ने इस जमीन को 58 करोड़ रुपये में खरीदने का समझौता कर लिया, और 2009 तक 50 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। इस सौदे में 700% से अधिक मुनाफे ने सवाल खड़े किए।
IAS अशोक खेमका ने दिया था जांच का आदेश
1991 बैच के IAS अधिकारी अशोक खेमका उस समय हरियाणा के भूमि रिकॉर्ड और समेकन विभाग के निदेशक थे। 8 अक्टूबर 2012 को उन्होंने वाड्रा की कंपनियों के सौदों की जांच शुरू की। खेमका ने पाया कि म्यूटेशन और लाइसेंस प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन हुआ। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सौदा “शम” (नकली) था, क्योंकि दस्तावेजों में भुगतान का कोई सबूत नहीं था। 15 अक्टूबर 2012 को खेमका ने DLF के पक्ष में म्यूटेशन रद्द कर दिया और गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और मेवात के डिप्टी कमिश्नरों को वाड्रा की कंपनियों के 2005 से सभी सौदों की जांच करने का आदेश दिया।
IAS का तबादला और विवाद
खेमका की जांच शुरू करने के तीन दिन बाद, 11 अक्टूबर 2012 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आदेश पर उनका तबादला हरियाणा सीड्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक पद पर कर दिया गया। खेमका ने इसे “प्रतिशोध” करार दिया और कहा कि उन्हें भ्रष्टाचार उजागर करने की सजा दी जा रही है। उनकी 20 साल की सेवा में 40 से अधिक तबादले हो चुके थे। हरियाणा सरकार ने दावा किया कि तबादला प्रशासनिक कारणों से था, लेकिन विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं ने इसे कांग्रेस की “आपातकालीन मानसिकता” बताया।
ईडी की ताजा कार्रवाई
ईडी ने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की है। 2018 में वाड्रा, हुड्डा और DLF के खिलाफ आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज की गई थी। हाल ही में, 8 अप्रैल 2025 को ईडी ने वाड्रा को समन भेजा, और आज (15 अप्रैल) उनकी दूसरी पेशी हुई। जांच में सौदे के वित्तीय लेनदेन और नियमों के कथित उल्लंघन पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
राजनीतिक बदले की कार्रवाई- वाड्रा
वाड्रा ने आरोपों को “राजनीतिक बदले की कार्रवाई” बताया और कहा कि वह जांच में पूरा सहयोग करेंगे। कांग्रेस ने इसे बीजेपी की साजिश करार दिया है। दूसरी ओर, बीजेपी ने 2014 के हरियाणा चुनाव में इस मुद्दे को भुनाया था, लेकिन 2023 में हरियाणा सरकार ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कहा कि सौदे में कोई नियम उल्लंघन नहीं हुआ।
33 साल में 66 तबादले, कौन हैं खेमका?
अशोक खेमका को उनके साहस के लिए जाना जाता है, लेकिन उन्हें बार-बार तबादलों और चार्जशीट का सामना करना पड़ा। 2013 में हरियाणा सरकार ने उन पर वाड्रा और DLF की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया। उनकी 33 साल की सेवा में 66 तबादले हो चुके हैं। फिर भी, खेमका ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी।
शिकोहपुर लैंड स्कैम ने हरियाणा की राजनीति और प्रशासन में भूचाल ला दिया। अशोक खेमका की निष्पक्षता और साहस ने इस मामले को राष्ट्रीय चर्चा का विषय बनाया, लेकिन उनकी कार्रवाई के बाद भी जांच कई सालों तक ठंडे बस्ते में रही। अब ईडी की ताजा कार्रवाई से यह मामला फिर सुर्खियों में है, और सवाल उठ रहे हैं कि क्या इस बार सच सामने आएगा।