• 30/08/2025

‘ऐसे में अमेरिका तबाह हो जाएगा’, टैरिफ को कोर्ट द्वारा गैरकानूनी करार देने पर बोले डोनाल्ड ट्रंप

‘ऐसे में अमेरिका तबाह हो जाएगा’, टैरिफ को कोर्ट द्वारा गैरकानूनी करार देने पर बोले डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी को तगड़ा झटका लगा है। फेडरल अपील कोर्ट ने शुक्रवार को 7-4 के बहुमत से फैसला सुनाया कि ट्रंप ने 1977 के इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट (IEEPA) के तहत लगाए गए अधिकांश टैरिफ गैरकानूनी हैं। कोर्ट ने साफ किया कि IEEPA राष्ट्रपति को आपातकालीन शक्तियां तो देता है, लेकिन इसमें टैरिफ या टैक्स लगाने का असीमित अधिकार शामिल नहीं है। हालांकि, कोर्ट ने टैरिफ को तुरंत रद्द करने के बजाय 14 अक्टूबर तक लागू रखने की अनुमति दी है, ताकि ट्रंप प्रशासन सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सके।

ट्रंप की टैरिफ नीति और विवाद

ट्रंप ने फरवरी 2025 में कनाडा, मैक्सिको और चीन पर ड्रग तस्करी और अवैध इमिग्रेशन के मुद्दे पर राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर टैरिफ लगाए थे। इसके बाद 2 अप्रैल को ‘लिबरेशन डे’ के तहत लगभग सभी ट्रेड पार्टनर्स पर 10% बेसलाइन टैरिफ और व्यापार घाटे वाले देशों पर 50% तक के रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए गए। ट्रंप ने इन टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित कर बातचीत का मौका दिया था, जिसके बाद जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ जैसे देशों ने समझौते किए। लेकिन लाओस पर 40% और अल्जीरिया पर 30% जैसे भारी टैरिफ बरकरार रहे।

ट्रंप ने IEEPA का हवाला देते हुए दावा किया था कि लंबे समय से चला आ रहा व्यापार घाटा ‘राष्ट्रीय आपातकाल’ है। लेकिन कोर्ट ने माना कि व्यापार घाटा, जो दशकों से मौजूद है, ‘असामान्य और असाधारण खतरे’ की श्रेणी में नहीं आता। कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस ने IEEPA में टैरिफ शब्द का जिक्र तक नहीं किया और जब भी टैरिफ लगाने की शक्ति दी, उसमें स्पष्ट सीमाएं तय कीं।

कोर्ट का तर्क और असहमति

न्यूयॉर्क की यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने मई 2025 में V.O.S. Selections, Inc. v. United States और Oregon v. Department of Homeland Security मामले में फैसला सुनाया था कि ट्रंप ने IEEPA के तहत अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया। फेडरल अपील कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि टैरिफ लगाना कांग्रेस की मूल शक्ति है, और IEEPA में ऐसी व्यापक शक्ति देने का कोई इरादा नहीं था। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के ‘मेजर क्वेश्चंस डॉक्ट्रिन’ का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि इतने बड़े आर्थिक फैसले के लिए कांग्रेस की स्पष्ट मंजूरी जरूरी है।

हालांकि, चार जजों ने असहमति जताई। जज रिचर्ड तारांतो ने लिखा कि IEEPA की भाषा और इतिहास टैरिफ लगाने की कुछ हद तक अनुमति देता है। इससे ट्रंप के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील का रास्ता खुला है।

ट्रंप की प्रतिक्रिया

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर कोर्ट के फैसले को ‘पक्षपाती’ और ‘गलत’ बताते हुए कहा कि अगर यह फैसला कायम रहा तो यह अमेरिका को ‘तबाह’ कर देगा। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का ऐलान किया और कहा, “सभी टैरिफ लागू रहेंगे।” व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा कि ट्रंप ने राष्ट्रीय और आर्थिक सुरक्षा के लिए वैधानिक शक्तियों का उपयोग किया है और वे इस मामले में अंतिम जीत की उम्मीद करते हैं।

आर्थिक और कूटनीतिक असर

एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, जुलाई 2025 तक टैरिफ से अमेरिकी सरकार को 159 अरब डॉलर की कमाई हुई थी, जो पिछले साल की तुलना में दोगुनी है। अगर टैरिफ रद्द होते हैं, तो ट्रेजरी को अरबों डॉलर वापस करने पड़ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला ट्रंप की दबाव बनाने की रणनीति को कमजोर करेगा। विदेशी सरकारें अब अमेरिकी मांगों को टाल सकती हैं या पुराने समझौतों पर फिर से बातचीत की मांग कर सकती हैं।

ट्रंप के अन्य विकल्प

 1974 का ट्रेड एक्ट: इसके तहत व्यापार घाटे से निपटने के लिए 15% तक टैरिफ 150 दिनों तक लगाए जा सकते हैं, लेकिन यह सीमित है।

 1962 का ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट (सेक्शन 232): स्टील, एल्युमिनियम और ऑटो पर टैरिफ लगाए जा सकते हैं, लेकिन इसके लिए वाणिज्य विभाग की जांच जरूरी है।

आगे क्या?

यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट में जा सकता है, जहां ट्रंप की टैरिफ नीति की वैधता पर अंतिम फैसला होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि कोर्ट का फैसला न केवल ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी को प्रभावित करेगा, बल्कि भविष्य में राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियों की सीमा भी तय करेगा। फिलहाल, टैरिफ 14 अक्टूबर तक लागू रहेंगे, और कारोबारी जगत में अनिश्चितता बनी रहेगी।