- 16/05/2024
कोविशील्ड के बाद अब कोवैक्सीन ने बढ़ाई चिंता, रिपोर्ट में सांस लेने में दिक्कत.. ब्लड क्लॉटिंग के दिखे मामले


कोरोना महामारी से बचने के लिए देश के लोगों ने कोविशील्ड और कोवैक्सीन के टीक लगवाए थे। पहले एस्ट्रेजेनेका ने ब्रिटिश के कोर्ट में माना था कि उसके टीके के कुछ साइड इफेक्टस हो सकते हैं। लेकिन अब कोवैक्सीन को लेकर भी हैरान करने वाली जानकारी सामने आ रही है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक साल के अंदर ठीक ठाक संख्या में लोगों में इसके साइड इफेक्ट देखे गए हैं।
भारत में बनी कोवैक्सिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स पर एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि किशोरियों और जिनकों एलर्जी की बीमारी पहले से है। उन सभी को AESI का ज्यादा खतरा है। टीका लगनावे वाले ज्यादातर लोगों में एक साल तक साइड इफेक्ट का असर देखा गया।
पिछले दिनों ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के एक खुलासे के बाद कोरोना वैक्सीन की काफी चर्चा हो रही है। एस्ट्राजेनेका ने कोर्ट में माना है कि कोविशील्ड दुर्लभ मामलों में थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम के साथ थ्रोम्बोसिस (TTS) का कारण बन सकता है। इससे खून के थक्के बन सकते हैं और प्लेटलेट काउंट कम हो जाता है। कई गंभीर मामलों में यह स्ट्रोक और हार्ट अटैक का कारण भी बन सकता है। इस खुलासे के बाद भारत में भी इसकी चर्चा शुरू हो गई।
एस्ट्राजेनेका का जो फॉर्मूला था उसी से भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन बनाई। भारत में कोरोना के वक्त कोवैक्सिन और कोविशील्ड दो टीके प्रमुख तौर पर लगे। कोविशील्ड के बाद अब कोवैक्सिन के साइड इफेक्ट को लेकर एक स्टडी सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार शोधकर्ताओं ने पाया कि महिला किशोरों और जिन लोगों को पहले कभी एलर्जी हुई है, उनमें कोवैक्सिन लेने के बाद एईएसआई होने का खतरा ज्यादा होता है। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में शंख शुभ्रा चक्रवर्ती और उनकी टीम द्वारा की गई स्टडी में बताया गया है कि स्टडी में शामिल एक साल के फॉलो-अप के दौरान ज्यादातर एईएसआई बनी रही।
महिलाओं में भी देखे गए साइड इफेक्ट
रिपोर्ट के मुताबिक कोवैक्सीन का साइड इफेक्ट महिलाओं में भी देखा गया। 4.6 फीसदी महिलाओं में पीरियड से जुड़ी परेशानी सामने आई। 2.7 फीसदी लोगों ने ओकुलर यानी आंख से जुड़ी दिक्कत के लिए संपर्क किया। 0.6 फीसदी में हाइपोथारोइडिज्म पाया गया।