• 21/03/2024

सोशल मीडिया पर पैनी नजर, चुनाव में फर्जी खबर फैलाना पड़ेगा महंगा, फेक न्यूज होगी डिलीट

सोशल मीडिया पर पैनी नजर, चुनाव में फर्जी खबर फैलाना पड़ेगा महंगा, फेक न्यूज होगी डिलीट

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देश में आचार संहिता लगते ही अब सरकार और चुनाव आयोग ने अफवाहों को रोकने सख्त रुख अपनाया है. केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर कंटेंट की निगरानी के लिए फैक्ट चेक यूनिट का गठन किया है जिसकी अधिसूचना जारी कर दी है.

हाल ही में संशोधित आईटी नियमों के तहत इस फैक्ट चेकिंग यूनिट का गठन किया गया है. इस फैक्ट चेकिंग यूनिट को 2023 में क़ानून में शामिल किया गया था. फैक्ट चेक यूनिट का मकसद भ्रामक जानकारियों पर लगाम लगाना है,

हालांकि, इस यूनिट को कानून में शामिल करने की कोशिश विवादों के घेरे में रही है. कहा जा रहा है कि ये अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदी है. ये सरकार की आलोचना करने वाली मीडिया की स्वतंत्र रिपोर्टिंग को कुचलने की कोशिश है.

क्या करेगी फैक्ट चेकिंग यूनिट?

  • साल 2023 में इंटरमीडियरी गाइडलाइन और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड नियम, 2021 में संशोधन किया गया था.
  • ये नियम इंटरमीडिएटरीज को कंट्रोल करते हैं, जिनमें टेलीकॉम सर्विस, वेब होस्टिंग सर्विस, फेसबुक, यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया वेबसाइट और गूगल जैसे सर्च इंजन शामिल हैं.
  • संशोधित नियमों में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पास एक फैक्ट चेकिंग इकाई नियुक्त करने का अधिकार होगा.
  • इस यूनिट के पास केंद्र सरकार के कामकाज से संबंधित किसी भी खबर को भ्रामक बताने की ताक़त होगी.
  • इसे कॉमेडियन कुणाल कामरा और संपादकों के संगठन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने चुनौती दी है.
  • समाचार वेबसाइट सीधे इंटरमीडियरी की परिभाषा के तहत नहीं आती हैं, क्योंकि इसमें वेब होस्टिंग सेवाएं और सोशल मीडिया वेबसाइट आती हैं.
  • इसका मतलब यह हुआ कि गलत बताई गई खबर को इंटरनेट से हटाया जा सकता है.

नियम में बदलाव से क्या होगा?

आईटी नियम कहते हैं कि इंटरमीडियरी को यह सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने होंगे कि भ्रामक जानकारी उनके प्लेटफॉर्म पर प्रदर्शित या अपलोड न हो. इससे इंटरमीडियरी को 36 घंटों के भीतर उस जानकारी को हटाना पड़ सकता है. यदि इंटरमीडियरी ऐसा नहीं करता है, तो उसे दी गई सुरक्षा वापस ली जा सकती है.