- 08/04/2024
कहीं आपके बच्चों में तो दिखाई नहीं दे रहे ये लक्षण… जिगर के टुकड़े को इग्नोर करना पड़ सकता है भारी!


5जी की स्पीड से भागती जिंदगी में हमारी लाइफ स्टाइल इस कदर बिगड़ गई है कि हम खुद ही अपने शरीर में कई बीमारियों को न्यौता दे रहे हैं। ऐसे में बच्चों पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। जिसके चलते फैटी लिवर के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। इसके लक्षण क्या होते हैं और किया जा सकता है बचाव..इस आर्टिकल से समझिए।
फैटी लिवर के लक्षण
आजकल लोगों को उनके हेल्दी लिवर के बारे में जागरूक किया जा रहा है। फैटी लिवर की समस्या बच्चों में भी ज्यादातर देखी जा रही है। फैटी लिवर के लक्षण दिखाई नहीं देते। वहीं, जैसे-जैसे लिवर में फैट बढ़ना शुरू होता है, उसका साइज जरूरत से ज्यादा बढ़ जाता है. लिवर के बाईं तरफ जब फैट बढ़ना शुरू होता है, तो लिवर के साथ बना हुआ कैप्सूल के आकार के अंग में खिंचाव बढ़ जाता है। फैटी लिवर की वजर से शरीर में अक्सर थकान महसूस होती है। कमजोरी भी फैटी लिवर का एक मुख्य कारण माना जाता है।
फैटी लिवर के साइड इफेक्ट
- फाइब्रोसिस, श्रिंकेज और सिरोसिस
- जॉन्डिस, पेट में पानी भरना
- खून की उल्टी आना और अचानक से बेहोश हो जाना
- आगे चलकर कैंसर भी हो सकता है
फैटी लिवर के कारण
मुख्य कारण है फिजिकल एक्टिविटी की ओर ध्यान न जाना। हम अक्सर फोन और अपने लैपटॉप पर जरूरत से ज्यादा समय बिता रहे हैं। एक्सरसाइज भी नहीं करते। कोल्ड ड्रिंक और चिप्स का ज्यादा सेवन बच्चों की सेहत और भविष्य के लिए एक धीमे जहर की तरह काम करता है।
रिसर्च डाटा का आंकड़ा
भारत में एक रिसर्च के जरिए डाटा एकत्रित किया गया। जिसमें 50 तरीके की स्टडी की गई। इस डाटा में बच्चों से जुड़ी स्टडीज को जांचा गया कि बच्चों में किस तरह की समस्या अधिक देखी जा रही है। इस डाटा के मुताबिक, 38 फीसदी वयस्कों में फैटी लिवर की समस्या देखी गई है, जबकि बच्चों में फैटी लिवर 35 फीसदी के आस-पास है। यानी हर तीसरा बच्चा फैटी लिवर की समस्या से परेशान है।
फैटी लिवर से कैसे बचें?
- सब्जियों को अलग-अलग तरीकों से अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए।
- हल्दी में करक्यूमिन तत्व मौजूद होता है, जो फैटी लीवर से निपटने में मदद करती है।
- कच्ची हल्दी की चाय या इसे दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं
- मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए फाइबर रिच फूड्स की मात्रा बढ़ाएं।
- डाइट में नियमित रूप से साबुत अनाज खाने से ट्राइग्लिसराइड के लेवल को कम करने में मदद मिलती है।
- समय पर खाना और नींद पूरी करनी चाहिए।