• 27/03/2024

छत्तीसगढ़ की इस सीट का बदलेगा ट्रेंड या बरकरार रहेगी BJP, जानिए क्या कहता है न्यायधानी का चुनावी इतिहास ?

छत्तीसगढ़ की इस सीट का बदलेगा ट्रेंड या बरकरार रहेगी BJP, जानिए क्या कहता है न्यायधानी का चुनावी इतिहास ?

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बिलासपुर को छत्तीसगढ़ की न्यायधानी कहा जाता है. प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में से बिलासपुर लोकसभा सीट काफी अहम है. भले ही प्रदेश की राजधानी रायपुर हो, लेकिन न्यायधानी की जंग भी हमेशा से दिलचस्प रही है.

बिलासपुर लोकसभा सीट पर साल 1996 से लगातार बीजेपी का कब्जा रहा है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से अरुण साव ने चुनाव जीता और उन्होंने कांग्रेस के अटल श्रीवास्तव को पटखनी दी. इस तरह साल 1996 से चले आ रहे जीत के इतिहास को बीजेपी ने बरकरार रखा. लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने तोखन साहू को बिलासपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस की तरफ से देवेंद्र यादव को टिकट मिला है.

तोखन साहू कौन हैं?

  • वर्तमान में भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष
  • 2013 में पहली बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए
  • 2013 में तोखन साहू ने लोरमी से चुनाव लड़ा
  • कांग्रेस के धर्मजीत सिंह को चुनाव में हराया
  • 2015 में संसदीय सचिव छत्तीसगढ़ शासन रहे

देवेंद्र यादव को जनिए

  • 2009 में रुंगटा कॉलेज के NSUI प्रतिनिधि रहे
  • 2009 से 2011 तक जिला अध्यक्ष NSUI रहे
  • 2011 से 2014 तक प्रदेश अध्यक्ष NSUI रहे
  • 2014 से 2015 तक राष्ट्रीय सचिव
  • 2015 से 2016 तक राष्ट्रीय महासचिव NSUI रहे
  • 2016 में महापौर नगर पालिका निगम भिलाई रहे
  • 2017–18 में वे राष्ट्रीय सचिव यूथ कांग्रेस रहे
  • 2018 में देवेंद्र यादव पहली बार विधायक बने

बिलासपुर सीट का इतिहास

बिलासपुर छत्तीसगढ़ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है. राज्य का उच्च न्यायालय बिलासपुर में है. बिलासपुर लोकसभा सीट की स्थापना 1952 में हुई थी. वहीं, बिलासपुर सीट का इतिहास बेहद दिलचस्प है. इस सीट पर देश की दो बड़ी राजनीतिक पार्टियों कांग्रेस ने 8 बार और बीजेपी ने 8 बार जीत हासिल की है.

वहीं, केवल एक ही दफा जनता पार्टी को जीत मिली.1951-52 के पहले आम चुनाव और 1957 के दूसरे आम चुनाव दोनों में कांग्रेस के रेशमलाल जांगड़े बिलासपुर सीट से सांसद चुने गए थे. वहीं, 1962 में डॉ चंद्रभान सिंह जीते. 1967 में कांग्रेस ने अमर सिंह सहगल को मैदान में उतारा था. उन्होंने भी जीत हासिल की. 1971 के चुनाव में कांग्रेस का फिर परचम लहराया. कांग्रेस के रामगोपाल तिवारी की जीत हुई थी.

1977 में जनता पार्टी ने निरंजन प्रसाद केशरवानी को टिकट दिया और कांग्रेस से अशोक राव मैदान में थे. जहां जनता पार्टी के निरंजन प्रसाद केशरवानी की जीत हुई थी. बता दें कि 1980 में कांग्रेस ने वापसी की थी.  1980 के चुनाव में कांग्रेस के गोदिल प्रसाद अनुरागी जीते थे. वहीं, 1984 में भी कांग्रेस के खेलनराम जांगड़े की चुनाव में विजय हुई थी.

बिलासपुर लोकसभा में विधानसभा सीटें

  1. कोटा
  2. लोरमी
  3. मुंगेली
  4. तखतपुर
  5. बिल्हा
  6. बेलतरा
  7. मस्तूरी
  8. बिलासपुर

बिलासपुर के चुनावी मुद्दे

बिलासपुर की सबसे बड़ी समस्या धर्मांतरण की है. दूसरी बेरोजगारी की समस्या युवाओं और लोगों के लिए सबसे बड़ी समस्या है. यहां के ग्रामीण इलाकों के बच्चे दूसरे राज्य और शहरों की ओर पलायन को मजबूर हैं. बिलासपुर के लोगों की दूसरी सबसे बड़ी समस्या सड़कों को लेकर है. यहां के ग्रामीण इलाके की सड़कें काफी जर्जर हो चुकी है. लोग इसके मरम्मत की मांग कर रहे हैं. लेकिन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

ग्राउंड लेवल वाटर का दुरुपयोग भी यहां के लोगों के लिए अहम समस्या है. बढ़ते यातायात के दवाब को कम करने की मांग यहां लगातार की जा रही है. सिंचाई की समस्या भी यहां के किसानों के लिए बड़ी है. इसके अलावा हवाई सेवा में सीधे उड़ान और नियमित हवाई सेवा भी चुनावी मुद्दा बनकर सामने आ सकती है.

लोकसभा में मतदान प्रतिशत

  • साल 2004: 44.02 फीसदी
  • साल 2009: 52.29 फीसदी
  • साल 2014: 63.07 फीसदी
  • साल 2019: 64.44 फीसदी

बिलासपुर में जातिगत समीकरण:

2014 के आंकड़ों के अनुसार साक्षरता दर लगभग 71.83% है. इसमें 1.7 मिलियन (17 लाख) से अधिक मतदाता हैं, जिनमें लगभग 891,316 पुरुष और 837,889 महिलाएं शामिल हैं.

अनुसूचित जातियों की जनसंख्या लगभग 22.2% हैं, जबकि अनुसूचित जनजातियां लगभग 13.95% हैं. बता दें कि जातीय समीकरण काफी अहम माने जाते हैं. बिलासपुर में ओबीसी समुदाय बहुसंख्यक है. जिसमें साहू और कुर्मियों की अच्छी खासी आबादी है.