• 15/10/2022

ED RAID : छत्तीसगढ़ में बड़े कोल घोटाले का पर्दाफाश, नौकरशाह, राजनेता, कोल माफिया और दलालों ने कार्टेल बनाकर दिया अंजाम, प्रतिदिन 2 से 3 करोड़ की होती थी अवैध वसूली, ऐसे हो रहा था कोयला का काला खेला

ED RAID : छत्तीसगढ़ में बड़े कोल घोटाले का पर्दाफाश, नौकरशाह, राजनेता, कोल माफिया और दलालों ने कार्टेल बनाकर दिया अंजाम, प्रतिदिन 2 से 3 करोड़ की होती थी अवैध वसूली, ऐसे हो रहा था कोयला का काला खेला

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प्रवर्तन निदेशालय (ED)  ने छत्तीसगढ़ में बड़े कोल घोटाले का पर्दाफाश किया है। इस घोटाले में कोयला कारोबारियों, राजनेता, राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह और दलाल शामिल हैं। जिन्होंने एक कार्टेल बनाकर पूरे घोटाले को अंजाम दिया। ईडी ने इस कोल घोटाले का भांडाफोड़ प्रदेश में लगातार चल रही छापामार कार्रवाई के बाद किया है। ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत प्रदेश के कोयला कारोबारियों और IAS अफसरों के यहां छापा मारकर 6.5 करोड़ कैश, सोना और जेवरात बरामद किया है। मामले में ईडी ने एक IAS समीर विश्नोई के अलावा दो कारोबारियों को भी गिरफ्तार किया है।

कोयले में प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली

ईडी द्वारा जारी कथित प्रेस विज्ञप्ति में इस कोल घोटाले (coal scam) का खुलासा किया है। जिसमें ईडी ने बताया कि कोयला कारोबारियों, राजनेता, राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह और दलालों द्वारा संगठित गिरोह बनाकर कोयले में प्रति टन 25 रुपये की अवैध वसूली की जा रही थी। इस पूरे घोटाले का मुख्य सरगऩा सूर्यकांत तिवारी है, जो कि अपने सहयोगियों के साथ मिलकर एक जबरन वसूली की एक सामानांतर प्रणाली विकसित की। जिसके जरिए प्रतिदिन करोड़ों रुपये की अवैध वसूली की जा रही थी। यह काला धन राज्य के अधिकारियों तक भी पहुंच रहा था। जिसका इस्तेमाल बेनामी संपत्तियां बनाने के साथ ही रिश्वत के लिए किया जा रहा था।

ई़डी ने वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि वे इस घोटाले को संरक्षण दे रहे थे और अपराध की अवैध आय के लाभार्थी की उन्होंने भूमिका निभाई। ईडी ने कहा, “ईडी मुख्य सरगना सहित इस साजिश के पूरे पहलू की जांच कर रहा है, वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका जिन्होंने इस घोटाले को दंड से मुक्त किया और अपराध की अवैध आय के लाभार्थियों की भूमिका निभाई।”

प्रक्रियाओं का पालन नहीं 

ईडी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि अवैध कोयला लेवी की जबरन वसूली तब तेज हो गई जब निदेशक, भूविज्ञान और खनन विभाग ने दिनांक 15.07.2020 को एक अधिसूचना जारी की। जिसमें कोयला को खदानों से उठाने के लिए ई-परमिट की पूर्व ऑनलाइन प्रक्रिया को संशोधित कर मैनुअल किया गया। एनओसी और एसओपी के लिए प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।

कलेक्टर ने 30 हजार एनओसी जारी किए

ईडी की जांच में पता चला कि खनन विभाग में किसी भी दस्तावेजी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता था। दस्तावेजों में कई जगहों पर हस्ताक्षर गायब मिले इसके साथ ही नोटशीट भी गायब मिली। कलेक्टर द्वारा 15.7.22 से बिना किसी एसओपी के 30,000 से अधिक एनओसी जारी किए गए। आवक और जावक रजिस्टरों का रखरखाव नहीं किया गया था। ट्रांसपोर्टर का नाम, कंपनी का नाम आदि जैसे कई विवरण खाली छोड़ दिए गए।

प्रतिदिन 2 से 3 करोड़ की अवैध वसूली

अधिकारियों की सहायता से सूर्यकांत तिवारी के नेतृत्व में बनाया गए कार्टेल ने जबरन वसूली का एक ऐसा नेटवर्क तैयार किया। जिसके द्वारा प्रत्येक कोयला खरीदार या ट्रांसपोर्टर को कलेक्टर कार्यालय से एनओसी प्राप्त करने के लिए 25 रुपये प्रति टन का भुगतान करना ही पड़ता था। ऐसा करके प्रतिदिन 2 से 3 करोड़ की अवैध वसूली की जाती थी। अवैध वसूली के नेटवर्क इन पैसों को इकट्ठा करते और सूर्यकांत तिवारी, उसके लिए काम करने वाले लोगों, राज्य के सीनियर IAS-IPS अधिकारियों के बीच इन पैसों का बंटवारा किया जाता था।

ईडी द्वारा कहा गया कि गिरफ्तार आरोपी लक्ष्मीकांत तिवारी के पास से 1.5 करोड़ रुपये नगद बरामद किया गया। तिवारी ने यह स्वीकार किया कि वह प्रतिदिन 1 से 2 करोड़ की अवैध वसूली करता था।

इस मामले में गिरफ्तार किया गया दूसरा आरोपी सुनील कुमार अग्रवाल बड़ा कोयला व्यापारी है। जो कि इस रैकेट में शामिल था और सूर्यकांत तिवारी का प्रमुख बिजनेस पार्टनर है।

गिरफ्तार किया गया तीसरा आरोपी 2009 बैच का आईएएस अधिकारी है। उनके ठिकाने से 47 लाख कैश, 4 किलो सोने के जेवरात पाए गए। इस पूरे मामले में ईडी की जांच अभी जारी है।