- 11/10/2025
शर्मनाक: ‘इसकी मां HIV पॉजीटिव है’, नवजात के पास लगाया पोस्टर, अंबेडकर अस्पताल की शर्मनाक करतूत पर हाईकोर्ट नाराज, मुख्य सचिव से मांगा शपथपत्र

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रायपुर के डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में हुई शर्मनाक घटना पर कड़ा रुख अपनाया है। अस्पताल में एक नवजात के पास ‘बच्चे की मां एचआईवी पॉजिटिव है’ लिखा पोस्टर लगाए जाने का मामला सामने आने के बाद कोर्ट ने इसे अमानवीय, असंवेदनशील और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत निजता व गरिमा के अधिकार का उल्लंघन करार दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा है। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर 2025 को होगी।
क्या है मामला?
रायपुर के प्रतिष्ठित डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल में गाइनो वार्ड में भर्ती एक मां और नर्सरी वार्ड में रखे उसके नवजात के बीच एक पोस्टर लगाया गया था, जिसमें मां के एचआईवी पॉजिटिव होने की जानकारी सार्वजनिक की गई। जब नवजात के पिता बच्चे को देखने पहुंचे, तो उन्होंने यह पोस्टर देखा और भावुक होकर रो पड़े। इस घटना की रिपोर्ट सामने आने के बाद हाई कोर्ट ने तत्काल संज्ञान लिया और मामले की गंभीरता को देखते हुए सुनवाई शुरू की।
हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने इसे ‘अत्यंत अमानवीय, असंवेदनशील और निंदनीय’ कृत्य बताया। कोर्ट ने कहा कि इस घटना ने मां और बच्चे की पहचान उजागर कर दी, जिससे उन्हें सामाजिक कलंक और भविष्य में भेदभाव का सामना करना पड़ सकता है। कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा के अधिकार का खुला उल्लंघन माना। कोर्ट ने सवाल उठाया कि राज्य के सबसे प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थान से संवेदनशील और जिम्मेदार व्यवहार की अपेक्षा की जाती है, फिर ऐसी लापरवाही कैसे हुई?
मुख्य सचिव को शपथपत्र का निर्देश
हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव को 15 अक्टूबर 2025 तक व्यक्तिगत शपथपत्र दाखिल करने का आदेश दिया है। इसमें सरकारी अस्पतालों, मेडिकल कॉलेजों, सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में मरीजों की गोपनीयता सुनिश्चित करने की व्यवस्था का ब्योरा मांगा गया है। साथ ही, डॉक्टरों, कर्मचारियों और पैरामेडिकल स्टाफ को संवेदनशील बनाने व उनकी कानूनी-नैतिक जिम्मेदारियों के प्रति जागरूक करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देने को कहा गया है।
‘ऐसी गलती दोबारा न हो’
हाई कोर्ट ने सख्त लहजे में कहा कि इस तरह की घटनाएं न केवल कानूनी अपराध हैं, बल्कि मानव गरिमा पर भी हमला हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया कि भविष्य में ऐसी गलतियां दोबारा न हों। आदेश की कॉपी तत्काल मुख्य सचिव को भेजने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि समय पर कार्रवाई और जवाब सुनिश्चित हो।
अस्पताल प्रशासन पर सवाल
यह घटना अस्पताल प्रशासन की लापरवाही और संवेदनशीलता की कमी को दर्शाती है। कोर्ट की कार्रवाई के बाद अब सभी की निगाहें मुख्य सचिव के शपथपत्र और अगली सुनवाई पर टिकी है।