• 16/09/2022

1948 में छत्तीसगढ़ के इस राजा ने किया था अंतिम चीते का शिकार, 75 साल बाद होगी देश में वापसी

1948 में छत्तीसगढ़ के इस राजा ने किया था अंतिम चीते का शिकार, 75 साल बाद होगी देश में वापसी

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धरती के सबसे तेज दौड़ने वाले वन्य प्राणी चीते की आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान भारत की धरती पर करीब 75 साल बाद ही वापसी हो रही है. माना जाता है कि मध्यभारत के कोरिया (वर्तमान में छत्तीसगढ़ में स्थित) के पूर्व महाराजा रामानुज प्रताप सिंहदेव ने 1948 में भारत में अंतिम चीते का शिकार किया था.

अंग्रेज सरकार के अधिकारियों एवं भारत के राजाओं के अत्यधिक शिकार से 19वीं शताब्दी में इनकी संख्या में बहुत गिरावट आई. अंततः 1952 में भारत सरकार ने अधिकारिक तौर पर देश में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया. हालांकि 75 साल बाद मध्यप्रदेश की धरती से भारत को एक बार फिर दुनिया के सबसे तेज दौड़ने वाले प्राणी चीतों की सौगात मिलेगी.

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल इन चीतों को मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पुनर्स्‍थापित करेंगे. बताया जा रहा है कि पहली खेप में नामीबिया से तीन चीते, जिसमें दो नर और एक मादा लाए जा रहे हैं. बाकी चीते बाद में यहां लाकर बाड़े में छोड़े जाने की योजना को मंजूरी मिली है. कूनो नेशनल पार्क में कुल बीस चीते, जिसमें 12 दक्षिण अफ्रीका और आठ नामीबिया से लाकर बसाए जाने की खबर है.

बता दें कि 500 वर्ग किलोमीटर का चीतों के लिए बनाया गया विशेष बाड़ा पूरी तरह से तैयार है. इसी बाड़े के पास 4 हेलीपेड बनाकर तैयार किए गए हैं, जिन पर चीतों को लाने वाला चॉपर उतरेगा. यहीं पर ही प्रधानमंत्री और अन्य विशेष अतिथियों के हेलीकॉप्टर उतरेंगे. हेलीपेड से 300 मीटर की दूरी पर बाड़े का मुख्यद्वार है, जिससे प्रधानमंत्री मोदी चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे.

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