- 12/07/2025
जूनियर वकील यौन शोषण केस: DNA टेस्ट के खिलाफ सीनियर वकील की याचिका खारिज, हाईकोर्ट ने कहा- बच्ची के बायोलॉजिकल फादर का पता लगाना जरूरी

छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक सनसनीखेज मामले में हाईकोर्ट ने एडवोकेट श्यामलाल मल्लिक की याचिका को खारिज कर दिया है। मल्लिक पर उनकी जूनियर रही 37 वर्षीय महिला वकील ने यौन शोषण और पितृत्व का दावा करते हुए मामला दर्ज किया था। हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के DNA टेस्ट के आदेश को बरकरार रखते हुए कहा कि फैमिली कोर्ट को पितृत्व जांच के लिए DNA टेस्ट कराने का अधिकार है।
महिला का आरोप: यौन शोषण और बच्ची का पितृत्व
महिला वकील ने आरोप लगाया कि जूनियर के तौर पर काम करने के दौरान श्यामलाल मल्लिक ने उनका यौन शोषण किया। महिला ने दावा किया कि उनकी नाबालिग बेटी का जैविक पिता (बॉयोलॉजिकल फादर) श्यामलाल मल्लिक है। बच्ची के अधिकारों और पितृत्व की पुष्टि के लिए उन्होंने कोरबा की फैमिली कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें DNA टेस्ट की मांग की गई थी। फैमिली कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2024 को इस आवेदन को स्वीकार कर लिया था।
हाईकोर्ट में चुनौती, लेकिन खारिज हुई याचिका
एडवोकेट श्यामलाल मल्लिक ने फैमिली कोर्ट के इस आदेश को हाईकोर्ट में दो अलग-अलग याचिकाओं के जरिए चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पहले इन याचिकाओं को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए निर्देश दिया था कि DNA टेस्ट का फैसला दोनों पक्षों के साक्ष्य दर्ज होने के बाद लिया जाए। हालांकि, मल्लिक ने तथ्यों को छिपाते हुए एक नई याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने फैमिली कोर्ट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाए।
हाईकोर्ट ने अपने ताजा फैसले में स्पष्ट किया कि फैमिली कोर्ट का अधिकार क्षेत्र पहले ही तय हो चुका है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इवान रथिनम मामले के फैसले के अनुसार, DNA टेस्ट का आदेश देने से पहले साक्ष्यों की अपर्याप्तता और पक्षों के हितों का संतुलन जरूरी है। चूंकि इस मामले में साक्ष्य अपर्याप्त पाए गए, इसलिए DNA टेस्ट की अनुमति देना उचित है।
ब्लड सैंपल देने के बाद भी छिपाए तथ्य
हाईकोर्ट ने यह भी पाया कि श्यामलाल मल्लिक ने 4 जुलाई 2024 को DNA टेस्ट के लिए ब्लड सैंपल देने की सहमति दी थी, लेकिन इसके बाद उन्होंने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाया। कोर्ट ने इसे गंभीरता से लेते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया और पहले दी गई अंतरिम राहत को भी रद्द कर दिया। हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कोई नया आधार पेश नहीं किया, और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे पहले ही तय हो चुके हैं।
कौन हैं श्यामलाल मल्लिक?
कोरबा निवासी श्यामलाल मल्लिक एक वकील हैं और इस मामले में उनकी जूनियर रही महिला वकील ने उन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। महिला का कहना है कि उनकी नाबालिग बेटी को पिता के अधिकार दिलाने के लिए पितृत्व की पुष्टि जरूरी है। इस मामले ने कोरबा में खासी चर्चा बटोरी है, और स्थानीय समुदाय में यह मामला संवेदनशील बना हुआ है।
कानूनी प्रक्रिया और अगला कदम
हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब फैमिली कोर्ट में DNA टेस्ट की प्रक्रिया आगे बढ़ेगी। टेस्ट के नतीजे इस मामले में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, जिससे बच्ची के पितृत्व और महिला के यौन शोषण के आरोपों पर स्पष्टता आ सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई और DNA टेस्ट के परिणाम पर सभी की नजरें टिकी हैं।