- 17/08/2024
बारिश के दिनों में पाया जाने वाला चमत्कारी नन्हा पौधा, औषधि से है भरपूर, जानिए क्या है इसकी खासियत?


खरपतवार की तरह पहली बारिश के साथ ही अपने आप हर जगह उग जाने वाला एक पौधा आदिवासी अंचल में चकौड़ा के नाम से जाना जाता है। अलग अलग क्षेत्रों में इसे अलग अलग नामों से जाना जाता है। बरसात में पहली बारिश के साथ ही कई ऐसे पौधे उगते हैं जिसे लोग खरपतवार समझते हैं बिना काम का समझते हैं और उसकी देखरेख नहीं करते हैं। लेकिन प्रकृति ने हमें कई ऐसे नायाब तोहफे दिए हैं जिनके बारे में जानकर आप भी दंग रह जाएंगे।
उन्हीं में से एक है चाकौड़ा जो इन दिनों विलुप्ति की कगार पर हैं, लेकिन क्या आपको पता है खरपतवार समझे जाने वाले इस चकौड़ा के पौधे का कितना औषधीय महत्व है। चकौड़ा एक ऐसा पौधा है जिसका मेडिसिनल उपयोग किया जाता है। चकौड़ा की पत्तियों से लेकर इसका बीज कई रोगों को दूर करने में काम आता है। कहीं-कहीं इसके कोमल पत्तों की भाजी बनाकर खाई जाती है। ये पूरे भारत में विशेषतया उष्ण प्रदेशों के जंगल झाड़ी, खेत, मैदान, सड़क के किनारे आसानी से पाया जा सकता है।
इसका पूरा पंचांग औषधि के काम आता है। चकौड़ा का जो बीज होता है, उसके तेल को पैक करके चक्रमर्द तेल बनाया जाता है, जो की स्किन इन्फेक्शन के लिए, फंगल डिसऑर्डर के लिए बहुत अच्छा काम करता है। हालांकि हरी पत्तियां भी इसकी बड़े काम की होती हैं, अगर इन्हें पीसकर पेस्ट बना करके फंगल डिसऑर्डर पर लोकल एप्लीकेशन किया जाए तो बहुत फायदा मिलता है।इसकी पत्तियों का जो पेस्ट होता है आप उसे डायरेक्टली किसी भी स्किन इन्फेक्शन में लगा सकते हैं, स्किन इन्फेक्शन बहुत जल्द ही ठीक होता है।खास तौर पर बैक्टीरिया या फंगल ओरिजिन जो स्किन इन्फेक्शन होता है उस पर ये बहुत काम करता है।
इसके अलावा इसके जो बीज होते हैं, इसके बीज का चूर्ण तैयार किया जाता है और ये मेटाबॉलिक डिसऑर्डर में भी काफी हद तक काम करता है। जैसे कि डायबिटीक, थायराइड, पीसीओडी। इसीलिए लो ग्लाइसेमिक इंडेक्स होने के कारण इसका डीएम में भी डायबिटीज मेलाइटिस में काफी हद तक इसका प्रयोग किया जाता है।जब इसके बीज पककर सूख जाते हैं तब इससे जो तेल बनाया जाता है और वो मार्केट में चक्रमर्द तेल के नाम से आता है, इसको भी स्किन इन्फेक्शन में काफी उपयोग किया जाता है।
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।