• 24/06/2025

रतन टाटा की वसीयत में नहीं था शेयरों का जिक्र, अब कौन होगा वारिस? बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

रतन टाटा की वसीयत में नहीं था शेयरों का जिक्र, अब कौन होगा वारिस? बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला

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मशहूर उद्योगपति रतन टाटा की वसीयत को लेकर उठे विवाद पर बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। रतन टाटा के निधन के बाद उनकी वसीयत के अनुसार संपत्तियों का बंटवारा हो चुका था, लेकिन जिन शेयरों का उल्लेख वसीयत में नहीं था, उनके मालिकाना हक को लेकर मामला अदालत में पहुंचा। जस्टिस मनीष पिटाले की बेंच ने आदेश दिया कि रतन टाटा के लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयरों पर अब रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडाउमेंट ट्रस्ट का हक होगा।

कोर्ट का तर्क और फैसला

जस्टिस मनीष पिटाले ने कहा कि रतन टाटा ने अपनी मूल वसीयत में जिन संपत्तियों का जिक्र नहीं किया, उन पर मालिकाना हक उनकी ओर से स्थापित इन दो ट्रस्टों को देना उचित होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि रतन टाटा ने ही इन ट्रस्टों की स्थापना की थी, और उनकी मंशा समाज कल्याण के लिए थी। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयरों को दोनों ट्रस्टों में समान रूप से विभाजित किया जाए। यह फैसला याचिका के आधार पर लिया गया, जिसमें शेयरों के मालिकाना हक पर स्पष्टता की मांग की गई थी।

वसीयत में संशोधन और विवाद

मामले में मुख्य सवाल यह था कि रतन टाटा ने अपनी मूल वसीयत में शेयरों का जिक्र नहीं किया था, लेकिन 22 दिसंबर, 2023 को वसीयत में संशोधन किया गया। संशोधित वसीयत में कहा गया कि उनकी सभी अनुपयोगी संपत्तियों, जिसमें लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयर शामिल हैं, को दो हिस्सों में बांटकर दोनों ट्रस्टों को सौंपा जाए। रतन टाटा का 9 अक्तूबर, 2024 को निधन हो गया था। वे अविवाहित थे और कोई पारिवारिक वारिस नहीं छोड़ गए थे।

रतन टाटा का योगदान

रतन टाटा का नाम भारत के औद्योगिक इतिहास में सम्मान के साथ लिया जाता है। उनकी ओर से स्थापित ट्रस्ट समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। अदालत का यह फैसला उनकी विरासत को उनके द्वारा चुने गए संस्थानों के माध्यम से आगे बढ़ाने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है।