• 19/07/2022

उद्धव के हाथ से जाएगी शिवसेना की कमान! अब शिंदे ने ठोका पार्टी पर भी दावा, 12 सांसदों के साथ स्पीकर से की मुलाकात, इन्हें भी मिली सुरक्षा

उद्धव के हाथ से जाएगी शिवसेना की कमान! अब शिंदे ने ठोका पार्टी पर भी दावा, 12 सांसदों के साथ स्पीकर से की मुलाकात, इन्हें भी मिली सुरक्षा

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द तथ्य डेस्क। महाराष्ट्र में सियासी संग्राम के बीच शिवसेना से बगावत कर राज्य की सत्ता में काबिज होने वाले एकनाथ शिंदे ने एक बार फिर से बड़ा दांव चला है। शिंदे ने इस बार पार्टी (शिवसेना) पर ही दावा ठोक दिया है। शिंदे मंगलवार को 12 सांसदों के साथ लोकसभा स्पीकर से मुलाकात की है तथा दावा किया है कि शिवसेना के 19 में से 18 सांसदों का समर्थन उनके पास है।

इधर लोकसभा स्पीकर से मुलाकात के बाद से ही शिंदे और उसके समर्थकों में जोरदार जोश देखा जा रहा है। केन्द्र की ओर से शिंदे गुट में शामिल हुए शिवसेना के 12 सांसदों को वाई प्लस की सुरक्षा मुहैया करा दी गई है। बताया जाता है कि सभी सांसद आज पीएम से भी मुलाकात के प्रयास में हैं।

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सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर सबकी नजर
महाराष्ट्र में चल रहे सियासी उठापटक के बीच सबकी नजर अब सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हुई है। यहां 20 जुलाई को सुनवाई होनी है, सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और हेमा कोहली की बेंच उद्धव ठाकरे की अगुआई वाले खेमे और एकनाथ शिंदे खेमे की याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद ही अब शिवसेना की अंदरूनी लड़ाई में नया मोड़ आएगा।

 

क्या है शिंदे का दावा:
शिंदे के दावे के अनुसार शिवसेना के 40 विधायक और 13 सांसद मूल पार्टी से अलग हो चुके हैं। शिंदे के अनुसार वर्तमान में सांसदों और विधायकों की संख्या के आधार पर उनके पास दो तिहाई जनप्रतिनिधि का समर्थन प्राप्त है। लिहाजा जिस उद्देश्य को लेकर शिवसेना से ये जनप्रतिनिधि जुड़े थे अब ये सभी उनके साथ हैं इसीलिए शिवसेना के प्रमुख नेता के रूप में उन्हें चुन लिया गया है। इस तरह महाराष्ट्र में असली शिवसेना और उसके समर्थक अब शिंदे के साथ आ गए हैं।

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दूसरी ओर 29 जून को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद से ही गंभीर राजनीतिक संकट से जूझ रहे उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के वरिष्ठ पदाधिकारियों की बैठक बुलाई है, इस बैठक में महानगर पालिका के अध्यक्षों को भी बुलाया गया है। 21 जून को जब शिवसेना कार्यकारिणी की आखिरी बैठक हुई थी तब उद्धव काफी मजबूत स्थिति में नजर आए थे। इस लिहाज से देखा जाए तो उद्धव ठाकरे के पास कार्यकारिणी का बहुमत है, इसलिए बागियों के लिए यह समर्थन मुश्किल पैदा कर सकता है। इस बैठक में पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे को फिर से नेता चुना गया था। सभी ने उद्धव ठाकरे को पार्टी के फैसले लेने का अधिकार दिया था। बैठक में यह भी तय हुआ था कि शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के नाम का इस्तेमाल कोई और नहीं करेगा।

शिवसेना का संविधान
शिवसेना के संविधान के अनुच्छेद 11 में स्पष्ट है कि शिवसेना में पार्टी प्रमुख सर्वोच्च पद है। प्रतिनिधि सभा के पास राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों को हटाने का अधिकार है। पार्टी प्रमुख की ओर से नियुक्त राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य को हटाने का अधिकार पार्टी प्रमुख के पास होता है। इसलिए, उद्धव ठाकरे के पास पार्टी प्रमुख के रूप में चुनाव रद्द करने का पूरा अधिकार है। इस अधिकार का इस्तेमाल कर उन्होंने शिंदे और भरत गवली के खिलाफ कार्रवाई की है। शिवसेना के संविधान के जानकार बताते हैं कि एकनाथ शिंदे 40 विधायकों और 13 सांसदों की संख्या पर शिवसेना और धनुष बाण का दावा नहीं कर सकते। शिंदे को कम से कम 250 प्रतिनिधि सदस्यों वाली पार्टी से निर्वाचित होना होगा। इसके बाद ही उन्हें चुनाव आयोग की मंजूरी मिलेगी और वे शिवसेना पर दावा कर सकते हैं।

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