- 07/01/2023
HC Decision: बुजुर्ग पिता को घर में घुसने नहीं देता था, हाईकोर्ट ने बेटे को मकान खाली करने का दिया आदेश
अपने बुजुर्ग पिता की देखभाल ना करने और असहाय पिता की जरूरतों को पूरा ना करने के एक संवेदनशील मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का बड़ा निर्णय आया है । जस्टिस दीपक तिवारी के बेंच ने इस मामले में निर्णय सुनाते हुए 7 दिनों के भीतर मकान खाली करवाने के आदेश को बरकरार रखते हुए बेटे की याचिका खारिज़ कर दी है। वहीं हाईकोर्ट ने एफसीआई से रिटायर होने और पेंशन मिलने के कारण 5 हजार रुपये गुजारा भत्ता देने के आदेश को निरस्त कर दिया।
राजधानी रायपुर के कासिमपारा क्षेत्र के रहने वाले नीरज बघेल ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर 7 दिन के भीतर मकान खाली करने के रायपुर कलेक्टर के आदेश को चुनौती दी थी। नीरज बघेल के पिता ने रायपुर कलेक्टर के समक्ष मेंटेनेंस एन्ड वेलफेयर ऑफ पेरेंट्स एन्ड सीनियर सिटीजन एक्ट,2007 के प्रावधानों के तहत रायपुर कलेक्टर को आवेदन दिया था।
कलेक्टर के समक्ष हुई सुनवाई में आवेदनकर्ता पिता ने कहा था कि रायपुर स्थित यह मकान उनके नाम पर है। जिसमें उनका बेटा और बहू रहते हैं। दोनों उनकी देखभाल नहीं करते । उनके खाने और इलाज का भी समुचित ध्यान भी नहीं रखा जाता। यहां तक कि उनके खुद के खरीदे घर में आने पर उन्हें धमकी दी जाती है। जिसकी वजह से उन्हें अपने बड़े बेटे के साथ रहना पड़ रहा है।
मामले में हाईकोर्ट ने मकान बेदखली के आदेश के खिलाफ दायर बेटे की याचिका खारिज करते हुए कहा कि परंपरा की अनदेखी, लोकाचार और नैतिकता में गिरावट की वजह से बुजुर्गों की उपेक्षा की भावना बढ़ी है। ऐसे में उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कानून की जरूरत है।
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