- 01/11/2023
भगोड़ा घोषित हैं BJP के ये बड़े प्रत्याशी, रेप के भी हैं आरोपी, शपथ पत्र में कर दिया खेला, अब हो रही नामांकन रद्द करने की मांग
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और इंदौर-1 से प्रत्याशी बनाए गए कैलाश विजयवर्गीय की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। विजयवर्गीय ने नामांकन के साथ जो शपथ पत्र दिया उसमें उन्होंने दो आपराधिक मामलों का उल्लेख नहीं किया या ये कहें कि विजयवर्गीय ने अपने खिलाफ दो मामलों को छिपा लिया। कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला ने रिटर्निंग ऑफिसर के सामने शिकायत दर्ज कराई लेकिन वह खारिज हो गई। संजय शुक्ला ने इस मामले में अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
विजयवर्गीय ने 30 अक्टूबर को इंदौर-1 क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया और शपथ पत्र पेश किया। जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ 5 प्रकरणों का उल्लेख किया लेकिन दो मामलों की जानकारी उन्होंने नहीं दी। एक मामला पश्चिम बंगाल में दर्ज रेप सहित गंभीर मामलों का दूसरा छत्तीसगढ़ में दर्ज एक मामले में का, जिसमें वे स्थायी फरार घोषित हैं।
रेप सहित कई गंभीर धाराओं में अपराध दर्ज
विजयवर्गीय पर एक मामला पश्चिम बंगाल में बीजेपी प्रभारी रहने के दौरान का है। एक महिला ने उन पर बलात्कार, छल, अमानत में खयानत सहित अन्य गंभीर धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज करने की याचिका दाखिल की थी। कोर्ट के निर्देश पर अलीपुर पुलिस ने विजयवर्गीय के खिलाफ अपराध दर्ज किया। इसके खिलाफ विजयवर्गीय हाईकोर्ट गए। लेकिन उनकी अपील खारिज हो गई। जिसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने निचली अदालत को इस मामले पर फिर से विचार करने के निर्देश दिया। लेकिन केस अभी तक लंबित है, खत्म नहीं हुआ।
फरार घोषित
वहीं दूसरा मामला दुर्ग जिले का है। दुर्ग के अदालत में साल 1999 में विजयवर्गीय के खिलाफ एक मामला लंबित है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के पूर्व महाधिवक्ता कनक तिवारी ने उनके खिलाफ मानहानि का केस दुर्ग की अदालत में किया था। इस मामले में कैलाश विजयवर्गीय के पेश नहीं होने पर साल 2019 अदालत ने उन्हें फरार घोषित कर उनके खिलाफ स्थायी वारंट जारी किया था।
शपथ में किया खेला!
कैलाश विजयवर्गीय ने नामांकन के साथ दिए गए शपथ पत्र में पश्चिम बंगाल के पांच मामलों की जानकारी दी। बाकी मामलों पर उन्होंने खेल करते हुए एक टीप लिख दी। जिसमें उन्होंने लिखा कि बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव रहते हुए विभिन्न प्रदेशों में चुनावी दौरे करते हैं। राजनीतिक वैमनस्यता से कोई जांच प्रचलित हो, जिसकी सूचना संबंधित विभाग ने मुझे नहीं दी। इसके लंबित होने की संभावना हो सकती है।
नामांकन निरस्त करने की मांग
कांग्रेस प्रत्याशी संजय शुक्ला के वकील ने तर्क दिया कि बलात्कार के मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका विजयवर्गीय ने खुद लगाई। ऐसे में इस प्रकरण से वे अनभिज्ञ तो हो ही नहीं सकते। उसे छिपाकर निर्वाचन आयोग के निर्देशों की अवहेलना की गई है, इसलिए नामांकन निरस्त किया जाना चाहिए।