- 23/08/2022
डामर घोटाला : इन 4 अफसरों के खिलाफ एसीबी करेगी जांच
प्रदेश के बहुचर्चित डामर घोटाला मामले में एडीबी में पदस्थ रहे 4 अफसरों और कंसल्टेंसी फर्म के खिलाफ एसीबी जांच करेगी। लोकनिर्माण विभाग ने एसीबी को जांच की अनुमति दे दी है। इसकी जानकारी राज्य शासन ने सोमवार को मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को दी।
मामले में जनहित याचिका पूर्व बीजेपी नेता और रायपुर निवासी वीरेन्द्र पाण्डेय ने हाईकोर्ट में लगाई थी। साल 2019 में राज्य शासन के आश्वासन के बाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को निराकृत कर दिया था। लेकिन मामले में दोषियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।
जिसके बाद वीरेन्द्र पाण्डेय ने अपने अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा और रजत अग्रवाल के माध्यम से हाईकोर्ट में दुबारा याचिका दायर किया। मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। सोमवार को हुई सुनवाई में राज्य शासन ने हाईकोर्ट को बताया कि एडीबी में पदस्थ रहे तीन अफसर दोषी पाए गए थे, जिनके खिलाफ कार्रवाई की अनुमति दे दी गई है और जल्दी ही एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
याचिका में कहा गया कि प्रदेश की 21 सड़कों के निर्माण के लिए एडीबी से 1200 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया था। एक ही बिल लगाकर कई सड़कों के निर्माण की जानकारी दी गई थी। निर्माण में 200 करोड़ से ज्यादा का डामर घोटाला किया गया।
हाईकोर्ट की नोटिस के बाद एडीबी के परियोजना अधिकारी ने तीन अधिकारियों की एक समिति बनाई थी। समिति को एक महीने के भीतर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था। जांच प्रतिवेदन के आधार पर पीडब्ल्यूडी के अवर सचिव ने एसीबी ईओडब्ल्यू एसपी को पत्र लिखकर मुंगेली, बेमेतरा सहित एडीबी की राशि से बनाई गई 17 सड़कों में गड़बड़ी के लिए 3 अफसर और कसंल्टेंट कंपनी को जिम्मेदार मानते हुए उनके खिलाफ जांच करने की अनुमति दे दी थी।
एसीबी को लिखे पत्र के अनुसार प्रोजेक्ट में गड़बड़ी के लिए तत्कालीन परियोजना संचालक एससी त्रिवेदी, जेएम लुलु, आरवाई सिद्दिकी, नोडल अधिकारी तत्कालीन कार्यपालन अभियंता एनके जयंत और कंसल्टेंसी फर्म रेनॉरडेट एसए को जिम्मेदार बताया गया था।
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