- 21/08/2025
अंतरिक्ष में अपहरण! सैटेलाइट हैक कर रूस ने यूक्रेन के टीवी में दिखाया विजय परेड, 21वीं सदी का युद्ध साइबरस्पेस तक पहुंचा

विज्ञान के इस युग में युद्ध की परिभाषा बदल रही है। अब यह केवल जमीन, समुद्र और हवा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि साइबरस्पेस और अंतरिक्ष तक पहुंच गया है। एक सनसनीखेज घटना में रूसी हैकर्स ने यूक्रेन की टेलीविजन सेवा प्रदान करने वाले सैटेलाइट को हैक कर लिया, जिसके जरिए यूक्रेन के दर्शकों को रूस की विजय दिवस परेड का प्रसारण जबरदस्ती दिखाया गया। यह घटना न केवल तकनीकी दक्षता का प्रदर्शन है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अंतरिक्ष अब युद्ध का नया रणक्षेत्र बन चुका है।
यूक्रेन में सैटेलाइट हैकिंग की घटना
एसोसिएटेड प्रेस (एपी) की रिपोर्ट के अनुसार, 9 मई 2025 को जब रूस में विजय दिवस परेड का आयोजन हो रहा था, तब यूक्रेन के कम से कम 15 टेलीविजन चैनलों पर सामान्य प्रसारण के बजाय मॉस्को से प्रसारित परेड की फुटेज दिखाई गई। इस दौरान यूक्रेन के दर्शकों ने रूसी टैंक, सैनिकों और हथियारों की परेड देखी। रूस समर्थित हैकर्स ने लक्जमबर्ग की कंपनी एसईएस द्वारा संचालित एस्ट्रा सैटेलाइट को निशाना बनाया, जो यूक्रेन को टेलीविजन सेवाएं प्रदान करता है। यूक्रेन की टेलीविजन और रेडियो प्रसारण एजेंसी, नक्रादा, ने इसे सूचना युद्ध का हिस्सा करार दिया, जिसका मकसद यूक्रेन की जनता में डर पैदा करना था।
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सैटेलाइट क्यों हैं निशाने पर?
आज दुनिया भर में 12,000 से अधिक सक्रिय सैटेलाइट पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं। ये सैटेलाइट न केवल टेलीविजन और संचार सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सैन्य अभियानों, जीपीएस नेविगेशन, खुफिया जानकारी संग्रह और आर्थिक आपूर्ति श्रृंखलाओं में भी अहम भूमिका निभाते हैं। ये मिसाइल हमलों की चेतावनी देने वाले रक्षा तंत्र का भी हिस्सा हैं। साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ टॉम पेस, जो साइबर सिक्योरिटी फर्म नेटराइज के सीईओ हैं, कहते हैं, “सैटेलाइट की संचार क्षमता को बाधित करके बिना गोली चलाए भारी नुकसान पहुंचाया जा सकता है।”
सैटेलाइट सिस्टम में कमजोरियां, जैसे पुराने सॉफ्टवेयर या असुरक्षित हार्डवेयर, हैकर्स के लिए आसान निशाना बन जाते हैं। 2022 में रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के दौरान अमेरिकी सैटेलाइट कंपनी वियासैट को निशाना बनाया गया था। इस हमले में हैकर्स ने ‘एसिडरेन’ नामक मैलवेयर का उपयोग कर हजारों मॉडेम को निष्क्रिय कर दिया, जिससे यूक्रेन की सेना और सरकार के संचार तंत्र को भारी नुकसान पहुंचा और यूरोप के कई हिस्सों में इंटरनेट सेवाएं ठप हो गईं। यूक्रेन ने इस हमले के लिए रूस को जिम्मेदार ठहराया था।
अंतरिक्ष में हथियारों की होड़
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, रूस एक अंतरिक्ष-आधारित परमाणु हथियार विकसित कर रहा है, जो पृथ्वी की निचली कक्षा में मौजूद लगभग सभी सैटेलाइट्स को एक साथ नष्ट करने में सक्षम है। इसे “अंतरिक्ष का क्यूबन मिसाइल संकट” करार दिया गया है। दूसरी ओर, अमेरिका ने 2019 में यूएस स्पेस फोर्स की स्थापना की, जिसका मकसद अमेरिकी सैटेलाइट्स को विरोधी देशों के हमलों से बचाना और अंतरिक्ष में अपने हितों की रक्षा करना है।
चंद्रमा पर नजर और भविष्य की चुनौतियां
रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस और चीन चंद्रमा पर परमाणु संयंत्र स्थापित करने की योजना बना रहे हैं, जबकि अमेरिका चंद्रमा और मंगल पर मिशन की तैयारी में है। नासा के कार्यवाहक प्रशासक सीन डफी ने कहा, “हम चंद्रमा की दौड़ में चीन और रूस से आगे रहना चाहते हैं।” कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के बढ़ते उपयोग से इस प्रतिस्पर्धा में और तेजी आएगी, जिसके लिए ऊर्जा की मांग भी बढ़ेगी।
सैटेलाइट हैकिंग की घटनाएं दर्शाती हैं कि अंतरिक्ष अब केवल वैज्ञानिक अनुसंधान का क्षेत्र नहीं, बल्कि रणनीतिक युद्ध का नया मैदान बन चुका है। यूक्रेन और रूस के बीच साइबर युद्ध ने यह साबित कर दिया है कि तकनीकी श्रेष्ठता और साइबर सुरक्षा किसी भी देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कितनी महत्वपूर्ण है।