• 25/09/2022

Navratri 2022: सोमवार को 6 राजयोग में शुरु होगी नवरात्रि, ये है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, एक क्लिक में जानिए संपूर्ण पूजा विधि

Navratri 2022: सोमवार को 6 राजयोग में शुरु होगी नवरात्रि, ये है कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, एक क्लिक में जानिए संपूर्ण पूजा विधि

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अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि की शुरुआत होती है. इन्हें शारदीय नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है. हिंदू धर्म में इन नवरात्रि का विशेष महत्व है. इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपो की पूजा की जाती है. नवरात्रि की शुरुआत कल यानि सोमवार 26 सितंबर से हो रही है और 5 अक्टूबर को विजय दशमी के दिन दुर्गा विसर्जन पर नवरात्रि का समापन होगा. इस नवरात्रि में कोई भी तिथि नहीं घट रही है. इसलिए ये पर्व पूरे नौ दिनों का रहेगा. इनमें खास तिथियां जैसे दुर्गाष्टमी 3 अक्टूबर, महानवमी 4 अक्टूबर और दशहरा 5 अक्टूबर को मनेगा.

नवरात्रि का पर्व देवी शक्ति मां दुर्गा की उपासना का उत्सव है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी शक्ति के नौ अलग-अलग रूप की पूजा-आराधना की जाती है. एक साल में पांच बार नवरात्र आते हैं, चैत्र, आषाढ़, अश्विन, पौष और माघ नवरात्र. इनमें चैत्र और अश्विन यानि शारदीय नवरात्रि को ही मुख्य माना गया है. इसके अलावा आषाढ़, पौष और माघ गुप्त नवरात्रि होती है. शारदीय नवरात्रि अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है. शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है.

पितृ पक्ष के बाद शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाती हैं. आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि शुरू हो जाते हैं. हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है. नवरात्रि के 9 दिनों में मां के 9 रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है. मां को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी रखते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि के दौरान विधि- विधान से मां दुर्गा की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. नवरात्रि के पहले दिन यानी प्रतिपदा पर घटस्थापना होती है.

6 राजयोग में शुरू होगी नवरात्रि

वहीं नवरात्रि के पहले दिन 26 सितंबर को केदार, भद्र, हंस, गजकेसरी, शंख और पर्वत नाम के कुल 6 शुभ योग बन रहे हैं. इन 6 राजयोग में नवरात्रि की शुरुआत होना बहुत ही शुभ रहेगा. इस योग में पूजा करने का बहुत शुभ फल मिलेगी. सूर्य, बुध, गुरु और शनि से बनने वाले इन शुभ योगों में कलश स्थापना होना शुभ संकेत हैं.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

इस बार कलश स्थापना के लिए 3 शुभ मुहूर्त हैं. चित्रा नक्षत्र और वैधृति नाम का अशुभ योग भी नहीं होने से स्थापना के लिए ज्यादा समय मिलेगा. आश्विन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 26 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 23 मिनट से शुरू हो जाएगी, जो 27 सितंबर 2022 को सुबह 03 बजकर 08 मिनट पर खत्म होगी. ऐसे में इस शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कलश स्थापना का पहला शुभ मुहूर्त 26 सितंबर को सुबह 10.10 से 11 बजे तक है. जबकि दूसरा सुबह 11.36 से लेकर दोपहर 12.45 बजे तक है, ये अभिजित मुहूर्त है. इस मुहुर्त में कलश स्थापना से अच्छी सेहत, सौभाग्य और ऐश्वर्य बढ़ता है. तीसरा मुहूर्त शाम 4.15 से 5.40 तक है. ये कुंभ लग्न है, इस दौरान कलश स्थापना करने पर पराक्रम बढ़ता है. साथ ही दुश्मनों पर जीत मिलती है और पद प्रतिष्ठा भी मिलती है.

कलश स्थापना पूजा विधि

नवरात्रि पर सभी तरह के शुभ कार्य किए जा सकते हैं. मां दुर्गा इस दिन भक्तों के घर आती हैं ऐसे में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक बनाएं और दरवाजे पर आम और अशोक के पत्ते का तोरण लगाएं. नवरात्रि में माता की मूर्ति को लकड़ी की चौकी या आसन पर स्थापित करना चाहिए. जहां मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें वहां पहले स्वास्तिक का चिह्न बनाएं. उसके बाद रोली और अक्षत से टीकें और फिर वहां माता की मूर्ति को स्थापित करें. उसके बाद विधिविधान से माता की पूजा करें.

उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण को पूजा के लिए सर्वोत्तम स्थान माना गया है. आप भी अगर हर साल कलश स्थापना करते हैं तो आपकी इसी दिशा में कलश रखना चाहिए और माता की चौकी सजानी चाहिए. शास्त्रों में कलश पर नारियल रखने के विषय में बताया गया है कि “अधोमुखं शत्रु विवर्धनाय, ऊर्धवस्य वस्त्रं बहुरोग वृध्यै। प्राचीमुखं वित विनाशनाय, तस्तमात् शुभं संमुख्यं नारीलेलंष्.” यानी कलश पर नारियल रखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुख नीचे की तरफ न हो.

पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट

लाल चुनरी, लाल वस्त्र, मौली, श्रृंगार का सामान, दीपक, घी/ तेल, धूप, नारियल, साफ चावल, कुमकुम, फूल, देवी की प्रतिमा या फोटो, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, बताशे या मिसरी, कपूर, फल-मिठाई और कलावा. साथ ही मां दुर्गा जी की पूजा में दूर्वा, तुलसी,आंवला, आक और मदार के फूल अर्पित नहीं करें. लाल रंग के फूलों व रंग का अत्यधिक प्रयोग करें.

पूजा-विधि

  • सुबह उठकर जल्गी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें.
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.
  • मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें.
  • मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं.
  • धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें.
  • मां को भोग भी लगाएं. इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है.

मां के नौ रूपों की पूजा

घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि की शुरुआत होती है. पहले दिन मां शैलपुत्री तो दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है. तीसरे दिन मां चंद्रघंटा, चौथे दिन मां कुष्मांडा, तो पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा होती है. छठे दिन मां कात्यायनी एवं सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है. आठवें दिन महागौरी तो नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है.

नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान

●  दिन 1 – मां शैलपुत्री पूजा – यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है. मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं.
●  दिन 2 – मां ब्रह्मचारणी पूजा – ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
●  दिन 3 – मां चंद्रघंटा पूजा- देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
●  दिन 4 – मां कूष्माण्डा पूजा – माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है.
●  दिन 5 – मां स्कंदमाता पूजा – देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
●  दिन 6 – मां कात्यायनी पूजा – देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
  दिन 7 – मां कालरात्रि पूजा – देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते है.
●  दिन 8 – मां महागौरी पूजा – देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.
●  दिन 9 – मां सिद्धिदात्री पूजा – देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

इन मंत्रों का करें जाप

1- सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्येत्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तुते।।

2- सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन-धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।

3- देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषोजही।।

सांस्कृतिक परंपरा

नवरात्रि में देवी शक्ति माँ दुर्गा के भक्त उनके नौ रूपों की बड़े विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना करते हैं. नवरात्र के समय घरों में कलश स्थापित कर दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया जाता है. नवरात्रि के दौरान देशभर में कई शक्ति पीठों पर मेले लगते हैं. इसके अलावा मंदिरों में जागरण और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की झांकियां बनाई जाती हैं.

पौराणिक मान्यता

शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि में ही भगवान श्रीराम ने देवी शक्ति की आराधना कर दुष्ट राक्षस रावण का वध किया था और समाज को यह संदेश दिया था कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होती है.

नवरात्रि में नौ रंगों का महत्व

नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है. मान्यता है कि इन रंगों का उपयोग करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

  • प्रतिपदा- पीला
  • द्वितीया- हरा
  • तृतीया- भूरा
  • चतुर्थी- नारंगी
  • पंचमी- सफेद
  • षष्टी- लाल
  • सप्तमी- नीला
  • अष्टमी- गुलाबी
  • नवमी- बैंगनी

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