- 28/05/2024
दावों के बीच दवाइयां खत्म, कैसे होंगे TB मुक्त.. जिले में लगातार बढ़ रहे आंकड़े
छत्तीसगढ़ को स्वास्थ्य विभाग ने वर्ष-2025 तक पूर्व रूप से टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। लेकिन प्रदेशभर में तेजी से सामने आ रहे टीबी के मामलों ने चिंताएं बढ़ा दी है। दूसरी ओर निशुल्क मिलने वाली टीबी की दवाएं सरकारी अस्पतालों खत्म हो चुकी है। इसकी वजह से टीबी मरीजों में एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंट) का असर आ रहा। इसमें मृत्युदर 60% तक है। वहीं कोरोना की तरह फैलने की वजह यह स्वस्थ लोगों को भी टीबी का शिकार बना रहा।
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों अनुसार राज्य में वर्ष 2024 में जनवरी से मई यानी पिछले 5 महीनों में टीबी के 13,264 नए मरीज मिले हैं। वहीं अब तक 532 से अधिक एमडीआर केस की पहचान की गई। वहीं इनमें ऐसे भी केस है, जिनकी पहचान नहीं की जा सकी है।
सिर्फ 15 दिन की दवाएं शेष
इधर रायपुर जिले के सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी ने भी कह दिया है कि रायपुर जिले में 15 दिन की दवाएं बची है। प्रयास चल रहा है जल्द ही दवाई की किल्लत को दूर किया जायेगा। टीबी मुक्त करने के दावों के बीच दवाओं का स्टॉक न होना ये बता रहा है कि हालात बेहद खराब हो चले हैं और बढ़ते मरीजों को लेकर शासन प्रशासन में इसकी कोई सुध लेने वाला नहीं। 13264 टीबी के नए मरीज 1 जनवरी से 9 मई वर्ष-2024 तक मिले हैं। जिसमें 28 मई की तारीख तक राजधानी रायपुर में 2741 मरीज वर्तमान स्थिति में हैं, जबकि वर्ष 2023 तक तक प्रदेश में 38,826 टीबी मरीज मिले हैं ।
छत्तीसगढ़ में टीबी की दवाएं सरकारी अस्पतालों में खत्म हो चुकी है।हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने साल 2025 तक पूरी तरह से टीबी मुक्त करने का लक्ष्य रखा है।स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में साल 2024 में जनवरी से मई यानी पिछले 5 महीनों में टीबी के 13,264 नए मरीज मिले हैं।