• 19/09/2022

यहां 50 पतियों ने कर दिया अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान, कारण जानकर हैरान रह जाएंगे आप

यहां 50 पतियों ने कर दिया अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान, कारण जानकर हैरान रह जाएंगे आप

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इन दिनों पितृपक्ष और श्राद्ध का महीना चल रहा है, जहां लोग अपने मृत परिजनों का पिंडदान करते हैं. पितरों का पिंडदान इसलिए किया जाता है, ताकि उनकी पिंड की मोह माया छूटे और वो आगे की यात्रा प्रारंभ कर सके. लेकिन क्या आपने कभी देखा और सुना है कि जिंदा लोगों का पिंडदान हुआ हो.? जी हां…मुंबई में कुछ ऐसा ही अजीबोगरीब मामला सामने आया है. जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे.

दरअसल, पितृपक्ष मौके पर रविवार को मुंबई में बानगंगा टैंक के किनारे कई लोगों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया. ये सभी ऐसे पत्नी पीड़ित पति थे, जिनका या तो तलाक हो चुका है या फिर मामला कोर्ट में लंबित है. करीब 50 पत्नी पीड़ित पतियों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया.

पितृपक्ष के इसी मौके पर महाराष्ट्र में एक अनोखा नजारा देखने को मिला. यहां मुबंई के बानगंगा टैंक के किनारे करीब 50 पत्नी पीड़ित पतियों ने अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया. इन सभी लोगों ने शादी की बुरी यादों से छुटकारा पाने के लिए पूरे विधि विधान के साथ अपनी जिंदा पत्नियों का पिंडदान किया. इनमें से एक शख्स ने मुंडन भी कराया. साथ ही बाकी पतियों ने सिर्फ पूजा में हिस्सा लिया.

बताया जा रहा है कि यह कार्यक्रम पत्नी पीड़ित पतियों की संस्था वास्तव फाउंडेशन की तरफ से मुंबई में आयोजित किया गया था. वास्तव फाउंडेशन के अध्यक्ष अमित देशपांडे का कहना है कि ये पिंडदान इसलिए किया गया है, क्योंकि ये सभी लोग अपनी पत्नियों के उत्पीड़न से परेशान थे. उन्होंने बताया कि इसमें ज्यादातर ऐसे लोग हैं, जिनका तलाक हो चुका है या फिर वो अपनी पत्नी को छोड़ चुके है. लेकिन उनकी बुरी यादें अभी भी उन्हें परेशान कर रही हैं, इन्ही बुरी यादों से मुक्ति के लिए ये आयोजन किया गया है.

वहीं पिंडदान करने वाले पतियों का मानना है कि महिलाएं अपनी आजादी का फायदा उठाकर उनका शोषण करती हैं, लेकिन उनके आगे पुरुषों की सुनवाई नहीं होती है. अपनी पत्नियों के साथ उनका रिश्ता एक तरह से मर गया है, इसलिए पितृपक्ष के मौके पर ये पिंडदान किया गया है, ताकि बुरी यादों से उन्हें छुटकारा मिल सके.

जानकारी के मुताबिक वास्तव फाउंडेशन हर साल इसी तरह का आयोजन अलग-अलग शहरों में करवाता है, ताकि ऐसे पीड़ित पति जो अपनी पत्नियों के उत्पीड़न को भुला नहीं पा रहे हैं और अपने बुरे रिश्ते को ढोने को मजबूर हैं, उससे इन्हें निजात दिलाई जाए.

क्या है पिंडदान

भद्रपद महीने की पूर्णिमा से पितृ पक्ष की शुरुआत होती है, जो 15 दिन बाद पड़ने वाली आश्विन महीने की अमावस्या तक चलती है. पितृ पक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है, जिससे पूर्वजों के आशीर्वाद से वंश आपका फूले-फले और तरक्की हो. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है. मान्यता है कि जो लोग अपना शरीर छोड़ जाते हैं, वे किसी भी लोक में या किसी भी रूप में हों, श्राद्ध पखवाड़े में पृथ्वी पर आते हैं और श्राद्ध व तर्पण से तृप्त होते हैं.

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