- 22/07/2024
इंदिरा के फैसले को मोदी सरकार ने पलटा, RSS को लेकर क्या था वो फैसला?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ चल रहे मतभेदों के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने 58 साल पहले आरएसएस पर लगाए गए एक प्रतिबंध को हटा दिया है। जिससे अब सरकारी कर्मचारी आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं।
केंद्र द्वारा जारी आदेश में कहा हया है कि 30 नवंबर 1966, 25 जुलाई 1970 और 28 अक्टूबर 1980 के संबंधित कार्यालय ज्ञापनों से RSS का उल्लेख हटा दिया जाए।
आरएसएस पर सबसे पहले प्रतिबंध लगाने का काम देश के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल ने किया था। महात्मा गांधी की हत्या के बाद फरवरी 1948 में आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। अच्छे व्यवहार को देखते हुए सरकार ने प्रतिबंध हटा दिया था। लेकिन 1966 में सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
अब इतने साल बाद बीजेपी की मोदी सरकार ने अपने तीसरे कार्यकाल में आरएसएस पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। केंद्र के इस फैसले पर कांग्रेस ने हमलावर है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स लिखा, “सरदार पटेल ने फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद आरएसएस पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध हटा लिया गया था। इसके बाद भी आरएसएस ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।”
जयराम रमेश आगे लिखते हैं, “1966 में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में भाग लेने पर प्रतिबंध लगाया गया था – और यह सही फैसला भी था। यह प्रतिबंध लगाने के लिए 1966 में जारी किया गया आधिकारिक आदेश है। 4 जून 2024 के बाद स्वघोषित गैर-जैविक प्रधानमंत्री और आरएसएस के बीच संबंधों में खटास आ गई है। 9 जुलाई 2024 को 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भी लागू था। मेरा मानना है कि अब नौकरशाही भी निकर में आ सकती है।”
फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था।
इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया। इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया।
1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया… pic.twitter.com/17vGKJmt3n
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 21, 2024