• 15/02/2024

बड़ी खबर: चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, चंदे का हिसाब होगा सार्वजनिक

बड़ी खबर: चुनावी बॉन्ड असंवैधानिक, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, चंदे का हिसाब होगा सार्वजनिक

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लोकसभा चुनाव के ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरेल बॉन्ड पर बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार देते हुए इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरेल बॉन्ड स्कीम सूचना के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। वोटर्स को पार्टियों की फंडिंग जानने का अधिकार है। कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों की जानकारी सार्वजनिक किए जाने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) को सभी पार्टियों को मिले चंदे की जानकारी 6 मार्च तक चुनाव आयोग को देने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने चुनाव आयोग को 13 मार्च तक यह जानकारी अपनी वेबसाइट में प्रकाशित करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट ने कहा कि सरकार ने दानदाताओं की गोपनीयता रखना जरूरी बताया। लेकिन हम इससे सहमत नहीं हैं।

इलेक्टोरेल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) सहित चार याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। इन याचिकाओं में चुनावी बॉन्ड की वैधतो पर सवाल उठाया गया था। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि चुनावी बॉन्ड ने राजनीतिक दलों की फंडिंग को बहुत ज्यादा प्रभावित किया है। इसके साथ ही लोगों के सूचना के अधिकार का उल्लंघन भी किया गया है। इस मामले में कोर्ट ने पिछले साल 31 अक्टूबर से सुनवाई शुरु की थी और नवंबर महीने में फैसला सुरक्षित रख लिया था।

क्या थी चुनावी बॉन्ड स्कीम?

केंद्र सरकार ने साल 2018 में चुनावी बॉन्ड योजना की शुरुआत की थी। इसे लागू करने के पीछे बताया गया था कि इससे राजनीतिक दलों को मिलने वाली फंडिंग में पारदर्शिता आएगी। चुनावी बॉन्ड स्टेट बैंक की 29 शाखाओं में मिलता था। ये शाखाएं नई दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, गांधीनगर, चंडीगढ़, पटना, रांची, गुवाहाटी, भोपाल, जयपुर और बेंगलुरु की थीं।  इसके जरिए कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था किसी पार्टी को चंदा दे सकती थी। ये बॉन्ड 1000, 10 हजार, 1 लाख और 1 करोड़ रुपये तक के हो सकते थे।