- 26/07/2022
करोड़ों का अनुदान : फिर भी छत्तीसगढ़ में भूख से 8 बच्चों की मौत, हाईकोर्ट ने शासन से मांगा जवाब
द तथ्य डेस्क। शासकीय अनुदान के बाद भी भूखमरी से बच्चों की मौत के मामले पर आज हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने इस गंभीर प्रकरण में शासन से दो सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने कहा है। दिव्यांग और विशेष बच्चों के हितार्थ चलने वाली राजधानी रायपुर की संस्था कोपलवाणी ने इस गंभीर प्रकरण पर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई थी।
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हाईकोर्ट ने आज इस जनहित याचिका पर सुनवाई की। संस्था की ओर से याचिका में कहा गया कि राज्य शासन के लाखों-करोड़ों रूपए अनुदान प्राप्त होने के बाद भी यदि बच्चों की भूख से मौत हो रही है तो यह स्थिति भयावह है। यदि इसी तरह से चलता रहा तो अनुदान देने का औचित्य क्या है! याचिका में आगे कहा गया कि शासन के अनुदान का किस तरह से दुरूपयोग हो रहा है, बच्चों की मौत ने यह साबित कर दिया है.
इसमें और कोई तथ्य उजागर करने की जरूरत ही नहीं रह गई है। संस्था की ओर से कहा गया कि विशेष और दिव्यांग बच्चों के लिए काम करने वाली अन्य संस्थाओं को कोई सहायता नहीं मिल पाती। इतनी बड़ी राशि अनुदान के रूप में प्राप्त होने के बाद भी भूख से बच्चों की मौत बेहद कष्टकारी है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने याचिका को गंभीरता से लेते हुए अब राज्य शासन को दो सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने कहा है।
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ज्ञात हो कि राज्य सरकार द्वारा समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत सामाजिक संस्थाओं को अनुदान दिया जाता है। ऐसी संस्था जो निराश्रित बच्चों के लिए काम कर रही हैं, उनके लिए अलग से घरौंदा योजना प्रारंभ की गई थी। इसके तहत पीतांबरा संस्था समेत 4 संस्थाओं को 9 करोड़ 76 लाख रुपए दिए गए। इसमें से पीतांबरा व कुछ अन्य संस्थाओं में 2014 से लेकर अब तक अलग अलग 8 बच्चों की मौत हो गई है। वर्ष 2017 में एक घटना पीतांबरा में हुई तो इसकी शिकायत की गई। विशेष और दिव्यांग बच्चों के लिए काम कर रही संस्था कोपल वाणी रायपुर ने एक जनहित याचिका लगाई है।
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