• 28/09/2022

IPS मुकेश गुप्ता के प्रमोशन मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कैट का आदेश निरस्त, पदोन्नति निरस्त करने के आदेश को ठहराया सही

IPS मुकेश गुप्ता के प्रमोशन मामले में हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, कैट का आदेश निरस्त, पदोन्नति निरस्त करने के आदेश को ठहराया सही

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IPS मुकेश गुप्ता के प्रमोशन के मामला में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का फैसला आ गया है. हाईकोर्ट ने  IPS मुकेश गुप्ता की पदोन्नति निरस्त करने के लिए प्रदेश सरकार के फैसले को सही ठहराया है. इसके अलावा कोर्ट ने राज्य शासन की याचिका स्वीकार कर ली है और कैट जबलपुर के आदेश को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. हाईकोर्ट चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में यह मामला लगा था.

दरअसल, 2018 में मुकेश गुप्ता का एडीजी से DG पद पर प्रमोशन हुआ था. 2019 में राज्य शासन ने मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को निरस्त कर दिया था. इसके बाद शासन के आर्डर को कैट ने निरस्त कर दिया था. जहां कैट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अपील की थी, जिसकी सिंगल बेंच में सुनवाई हुई. बेंच ने मुकेश गुप्ता के पक्ष में आदेश देते हुए कैट के आदेश को सही ठहराया था.

IPS मुकेश गुप्ता के मामले में हाईकोर्ट में इसी महीने की शुरूआत में चीफ जस्टिस की डबल बेंच ने अंतिम सुनवाई के बाद इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा था. जिसे आज सुनाया है. कोर्ट ने मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को लेकर राज्य शासन की अपील पर सुनवाई की. इससे पहले भी निलंबित IPS मुकेश गुप्ता के प्रमोशन मामले में कैट के आदेश के खिलाफ राज्य शासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. पेश याचिका में कैट के क्रियान्वयन आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी, जिसमें हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी. इसमें IPS मुकेश गुप्ता के पदस्थापना का आदेश दिया था.

ये है पूरा मामला

बता दें कि राज्य शासन ने पूर्व में 2018 में प्रमोशन देकर ADG से DG बना दिया था. उस समय प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी. जिसके बाद कांग्रेस जीत कर सरकार बनाई तब 2019 में राज्य शासन ने मुकेश गुप्ता के प्रमोशन को निरस्त कर दिया. शासन के इस निर्णय और ऑब्जरवेशन को चुनौती देते हुए IPS गुप्ता ने कैट में याचिका लगाई थी. कैट ने सुनवाई के बाद मुकेश गुप्ता के पक्ष में निर्णय देते हुए पदस्थापना का आदेश सुनाया. इसके खिलाफ राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

मामले की सुनवाई के बाद 4 जुलाई को हाईकोर्ट ने कैट के आदेश के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी थी. हाइकोर्ट में 22 अगस्त से इस पर अंतिम बहस शुरू की गई. चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में शासन की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने बहस की. सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. जिस पर आज फैसला सुनाया.