• 12/04/2024

खरीदी केंद्रों में बर्बाद हो रही धान, मौसम की मार पड़ने से सरकार को हो रहा करोड़ों का नुकसान

खरीदी केंद्रों में बर्बाद हो रही धान, मौसम की मार पड़ने से सरकार को हो रहा करोड़ों का नुकसान

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धान खरीदी केंद्रों में जमा धान अब सहकारी समितियां के लिए मुसीबत बन गया है। समिति केंद्रों में लगभग तीन लाख क्विंटल धान खुले में पड़ा है।यहां लगातार चूहों और मौसम से हो रहे नुकसान की भरपाई समिति केन्द्र भरने को मजबूर हैं।

खरीदी बंद होने के लगभग 2 महीने के भीतर ही समिति केंद्रों से धान उठाव करना होता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ।खरीदी बंद होने को लगभग तीन महीने होने को लेकिन अब तक केंद्रों में धान खुले में रखा हुआ हैं।धूप, गर्मी, बेमौसम बारिश से एक तरफ धान को नुकसान हो रहा है तो दूसरी तरफ बोरियों में रखे धान के वजन में कमी भी आने लगी है।जिले के 22 केंद्रों में से अधिकांश में धान रखा है।

खरीदी के समय केंद्र प्रभारी अधिकतम 17 प्रतिशत फसल में नमी की मात्रा के साथ खरीदी करते हैं। तेज धूप व गर्मी से नमी 17 प्रतिशत से घटकर 14 से 15 तक पहुंच जाती है।इससे प्रति बोरी 1 से डेढ़ किलो तक वजन में कमी आ जाती है।

धान में हो रहे नुकसान से समिति प्रबंधक परेशान

मौसम और चूहों के कारण हो रहे नुकसान से समिति प्रबंधक परेशान है। समिति प्रबंधकों का कहना है कि हर बोरी में लगभग 2 किलो वजन की कमी आ रही है।धान रखने के लिए दी गई बोरी का वजन आधा किलो रहता है लेकिन धान उठाते समय बोरी का वजन 650 ग्राम काट लिया जाता है। यानी प्रति बोरी 150 ग्राम का नुकसान केंद्र प्रभारी को होता है।

समिति प्रबंधकों ने पहले भी शासन प्रशासन को पत्र लिखकर धान उठाव करने की मांग की। लेकिन धान उठाव नहीं होने से नुकसान हो रहा है।

जबकि नियमों के तहत खरीदी के 72 घंटे के अंदर धान का उठाव हो जाना चाहिए लेकिन धान उठाव नहीं होने से धान शॉर्टज की समस्या आ रही है।धान बर्बाद हो रहा है। गर्मी और बारिश दोनों से धान का नुकसान हो रहा है। चूहे और सूखत से बोरे में डेढ़ से 2 किलो वजन कम हो रहा है।