• 28/05/2022

मां दंतेश्वरी ने भैसासुर का किया था वध, काकतीय राजवंश का होता था राजतिलक, बस्तर का यह इलाका है ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह 

मां दंतेश्वरी ने भैसासुर का किया था वध, काकतीय राजवंश का होता था राजतिलक, बस्तर का यह इलाका है ऐतिहासिक घटनाओं का गवाह 

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रायपुर। बस्तर जिले के बड़े डोंगर का नाम सुनते ही एक प्राचीन गढ़ का बोध होता है। हल्बी बोली में डोंगरी का अर्थ पहाड़ होता है, डोंगरी शब्द से ही डोंगर बना है। यह ग्राम का पूर्व तथा पश्चिम भाग पहाड़ों से घिरा हुआ है। बस्तर के काकतीय राजवंश का यही पर राजतिलक होता आया है। यह ग्राम राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 30 से लगभग 15 किलोमीटर दूर पश्चिम दिशा में बसा हुआ है। यहां पर प्राचीन काल में निर्मित अनेक पुरातात्विक भग्नावशेष और हिंदू देवी देवताओं के पाषाण प्रतिमाएं स्थापित हैं। इनमें मुख्य शिव, पार्वती, विष्णु देव, गणेश, नरसिंह, विश्वकर्मा, भैरव देव, दंतेश्वरी देवी तथा गौतम बुद्ध, सूर्य देव आदि की प्रतिमाएं विद्यमान हैं।

गांव के पूर्व दिशा में पहाड़ के ऊपर दंतेश्वरी देवी का मंदिर है तथा इस स्थल के कुछ दूरी पर पहाड़ के ऊपर यहीं ठुनठुन पत्थर है ,इसे स्थानीय लोग कौड़ी ढूसी के नाम से जानते हैं इन पत्थरों को ठोकने पर मधुर ध्वनि निकलती है। इसके अतिरिक्त पहाड़ की चोटी पर पद चिन्ह है और इन पद चिन्हों को माता दंतेश्वरी देवी के पदचिन्ह कहते हैं।

पहाड़ में कई प्राकृतिक गुफाएं हैं कहा जाता है इन्हीं गुफाओं में भैसासुर रहा करता था स्थानीय लोग इस गुफा को रानी द्वार के नाम से जानते हैं क्योंकि राजवंश के शासन काल में यहां गुप्त रूप से रानी रहा करती थी। गुफा के दक्षिण की ओर भूमिगत जल प्रभाव को वीर पानी के नाम से जाना जाता है रानी द्वार गुफा से एक सुरंग सीधा पश्चिम की ओर बूढ़ा सागर को जोड़ता है। कहा जाता है कि इन्हीं पहाड़ी गुफाओं से निकलकर भैसासुर ने दंतेश्वरी देवी के साथ युद्ध किया था।

बड़े डोंगर में छोटे-बड़े कुल तालाबों की संख्या 147 है ,जानकार लोग इन्हें सात कोरी सात आगर कहते हैं। इनमें से प्राचीन तालाब संसार बांधा, सुईका तालाब, गंगासागर, बूढ़ा सागर, जन्मकुंड या उपजन कुंड आदि इस उपजन कुंड के निकट ही एक चट्टान पर गणेश भगवान की प्रतिमा है इसे उकेर कर तैयार किया गया है। यहीं पर मंदिर निर्माण के भग्नावशेष भी हैं जानकार लोगों का कहना है कि इसी स्थान पर गणेश जी का जन्म हुआ था इसी काल में एक कुंडनुमा तालाब का निर्माण किया गया और इसी तालाब के पानी से गणेश जी को स्नान कराया जाता था। इसलिए इस तालाब को उपजन कुंड नाम के जानते हैं तथा इस स्थान पर आज भी गणेश जी के जन्म स्थान के नाम से पूजा की जाती है।

बड़े डोंगर के प्राचीन भग्नावशेषों तथा देवी देवताओं के पाषाण प्रतिमाओं का अध्ययन करने पर स्पष्ट होता है कि यह गांव पूर्व काल में नागवंश के शासकों का मुख्य गढ़ था तथा उन्होंने लंबे समय तक यहां रहकर शासन किया था.