• 15/06/2022

बोरवेल के 60 फीट गड्ढे में फंसे राहुल ने जीती जिंदगी की जंग, 106 घंटे तक चला देश का सबसे बड़ा और सफल रेस्क्यू ऑपरेशन

बोरवेल के 60 फीट गड्ढे में फंसे राहुल ने जीती जिंदगी की जंग, 106 घंटे तक चला देश का सबसे बड़ा और सफल रेस्क्यू ऑपरेशन

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जांजगीर-चांपा। छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में बोरवेल में फंसे राहुल ने आखिर जिन्दगी की जंग जीत ली। 106 घंटे चले देश के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद राहुल को मंगलवार-बुधवार की दरम्यानी रात सुरक्षित निकाला गया। रेस्क्यू के बाद राहुल को फौरन बिलासपुर के अपोलो अस्पताल भेजा गया। इस ऑपरेशन को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना ने मिलकर 24 घंटों बिना रुके अंजाम दिया।

प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खुद इस ऑपरेशन की लगातार मॉनिटरिंग करते रहे और एक-एक पल की जानकारी न सिर्फ खुद लेते रहे बल्कि उसे साझा भी करते रहे। इस दौरान वो राहुल के परिजनों से भी संपर्क में थे और उनसे बात कर राहुल को सुरक्षित निकालने का भरोसा दिलाते रहे। देर रात जब राहुल को सुरक्षित निकाला गया तो सीएम कार्यालय द्वारा ट्वीट कर इसकी जानकारी दी गई।

सीएमओ ने राहुल को रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकालने का वीडियो ट्वीट कर कहा, “मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सतत मॉनिटरिंग में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, छत्तीसगढ़ पुलिस, भारतीय सेना और जांजगीर जिला प्रशासन ने संयुक्त रूप से कर्तव्यनिष्ठा का पालन करते हुए राहुल को बोरवेल से निकालने का दुष्कर कार्य कर दिखाया। यह ऑपरेशन पूरे देश के लिए मिसाल है। छत्तीसगढ़ ने इतिहास रचा है।”

इस ऑपरेशन के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लगातार अधिकारियों के संपर्क में रहे और उन्हें निर्देश देते रहे। उन्होंने अधिकारियों को ग्रीन कॉरिडोर बनाने के निर्देश दिए थे। उनके निर्देश के बाद ही राहुल को जैसे ही बाहर निकाला गया, तो उसे स्ट्रेचर में लिटाकर अपोलो अस्पताल भेजा गया। उन्होंने राहुल के जल्दी स्वस्थ होने की कामना की है।

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ऐसे पूरा हुआ 106 घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

राहुल को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीम चौबीसों घंटे रेस्क्यू के काम में लगी रही। रेस्क्यू के दौरान टीम को कई बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। राहुल को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए टनल खुदाई शुरु की गई और टनल बनाने का काम शुरु किया गया। लेकिन बड़ी-बड़ी चट्टाने आने और लगातार दिन बीतने की वजह रेस्क्यू ऑपरेशन टीम के लिए बड़ी चुनौती बनते जा रहा था। आखिरकार सेना के जवानों ने रेस्क्यू की कमान अपने हाथों में ले ली। टीम द्वारा टनल बनाया गया, राहुल और जवानों के बीच में कुछ ही दूरी ही बची थी लेकिन फिर एक बड़ी चट्टान बीच में आ गई। चट्टानों के बीच राहुल मौजूद था, चट्टान काटने के दौरान उसे चोट न लगे इस वजह से चट्टानों को हाथों से तोड़ा गया और फिर अंदर की मिट्टी हटाई गई। आखिरकार वो पल आ ही गया जब राहुल नजर आया और उसे बाहर निकालकर सीधे स्ट्रेचर पर लेटाकर एंबुलेंस से रवाना किया गया। जिस एंबुलेंस से राहुल को रवाना किया गया, वो तमाम रक्षा उपकरणों से लैस थी।

कैमरे से की जा रही थी निगरानी

बोरवेल के गड्ढे में गिरने के बाद विशेष कैमरे के द्वारा उसकी निगरानी की जा रही थी। कैमरे की मदद से राहुल की सारी गतिविधियों को देखा जा रहा था। राहुल के इशारे पर उसे खाने-पीने की चीजें पहुंचाई जा रही थी।

10 जून से था फंसा

राहुल मूक बधिर होने के साथ ही मानसिक रुप से कमजोर बताया जा रहा है। 10 जून को राहुल खेलते हुए बोरवेल में गिर गया था। दोपहर 2 बजे के बाद जब उसका कुछ पता नहीं चला तो परिवार वाले उसे ढूंढना शुरु किए। घर की बाड़ी की तरफ जब लोग पहुंचे तो राहुल के रोने की उन्हें आवाज सुनाई दी। पास जाने पर पता चला कि वहां खोदे गए बोरवेल के 60 फीट गड्ढे के अंदर से उसकी आवाज आ रही थी।