- 07/04/2023
हिन्दू राष्ट्र पर शंकराचार्य का बड़ा बयान, बोले- रावण और कंस का भी था हिन्दू राष्ट्र
देश में इन दिनों हिन्दू राष्ट्र के नाम पर बहस चरम पर है। इन सबके बीच शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का बड़ा बयान सामने आया है। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंचे अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि हमको हिन्दू राज्य नहीं राम राज्य चाहिए। शंकराचार्य ने एऩसीईआरटी की किताब से मुगल इतिहास हटाने को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि इतिहास जैसा है उसे वैसा पढ़ाना चाहिए। इसके साथ ही राम नवमी और हनुमान जयंती के जुलूस पर हुए पथराव पर सवाल उठाया है। उन्होंने इशारों ही इशारों में केन्द्र की बीजेपी सरकार को कठघरे में खड़ा किया। शंकराचार्य ने मदरसों की तरह बच्चों को हिन्दू धर्म की शिक्षा देने की वकालत की।
रावण और कंस के समय भी था हिन्दू राष्ट्र
रायपुर पहुंचे शंकराचार्य एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे। हिन्दू राष्ट्र को लेकर उठ रही मांग पर शंकराचार्य ने कहा कि हिन्दू राष्ट्र की हमारी मांग नहीं है। जिन लोगों ने हिन्दू राष्ट्र की बात की है उन्होंने इसका प्रारुप नहीं बताया है। ये तय नहीं है कि हिंदू राष्ट्र का प्रारूप कैसा होगा। इससे हमारे जीवन में क्या बदलाव आएंगे। इसलिए जब पता ही नहीं है कि इसमें क्या होगा तो न हम इसका समर्थन करते हैं न विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि हम राम राज्य की कामना करते हैं। हिन्दू राष्ट्र तो रावण और कंस का भी था लेकिन प्रजा दुखी थी। हमको वैसा राज्य चाहिए जिसमें प्रजा सुखी हो। वैसा राज्य एकमात्र राज्य आदर्श राज्य है और वह है राम राम राज्य। हमको हिन्दू राज्य नहीं राम राज्य चाहिए।
सिर्फ मुगल-मुगल पढ़ाना भी गलत था
शंकराचार्य ने NCERT की किताबों में मुगलों के चैप्टर हटाए जाने पर कहा कि पहले के समय में हमने हमारे राजाओं को छोड़कर केवल मुगल-मुगल पढ़ाया। अब वो पूरी तरह से हटा देना उतना ही गलत है। जितना की पहले सिर्फ मुगल-मुगल पढ़ाना गलत था। इतिहास के मामले में तो तटस्थ रहना होगा। जो जैसा है उसे वैसा ही पढ़ाया जाए। लेकिन यदि इसके पीछे ये सोच है कि हमारे बच्चे हिंदू राजाओं के बारे में जाने यह उनके काम की बात है मुगलों से क्या लेना-देना तो फिर ठीक है, मगर यदि हम इतिहास पढ़ रहे हैं तब तो जो जैसा है उसे वैसा ही पढ़ाया जाना सही होगा।
मदरसे में इस्लाम और कॉन्वेंट में प्रेयर तो हिन्दू धर्म की शिक्षा क्यों नहीं
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि, शिक्षा नीति में बदलाव होना चाहिए। मदरसे में इस्लाम की पढ़ाई हो सकती है, नमाज कैसे पढ़ा सकता है। कॉन्वेंट स्कूल में ईसाई प्रेयर करना सिखाया जा सकता है तो स्कूलों में आचमन कैसे किया जाए, आरती कैसे की जाए ये हिन्दू क्यों नहीं पढ़ा सकता। हिन्दू धर्म की पढ़ाई क्यों नहीं हो सकती। संविधान में कहा गया है कि बहुसंख्यक समाज अपनी धार्मिक शिक्षा स्कूलों में नहीं दे सकते तो पहले तो इसे बदलना होगा।
साईं बाबा पर धीरेंद्र शास्त्री के बयान का समर्थन
शंकराचार्य ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के उस बयान का समर्थन किया है। जिसमें शास्त्री ने कहा था कि साईं बाबा भगवान नहीं हैं। । उन्होंने कहा कि, धीरेंद्र कृष्ण के बयान को हमने देखा है उन्होंने शंकराचार्य जी का उल्लेख करते हुए कहा है, शंकराचार्य इस देश में धर्म के प्रधानमंत्री हैं उन्होंने जो कहा उसका पालन हिंदू समाज नहीं करेगा तो कौन करेगा। उन्होंने कहा था साईं बाबा के बारे में इसी वजह से हम समर्थन करते हैं।
हिन्दू कहलाने वाले दल का पूरे देश में राज्य फिर ऐसी स्थिति क्यों?
रामनवमी पर हुए पथराव के बाद केन्द्र सरकार ने हनुमान जयंती पर शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए एडवायजरी जारी की थी। इसे लेकर शंकराचार्य ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि हिन्दू कहने वाले दल का पूरे देश में और राज्य में राज है तो ऐसी परिस्थितियां क्यों उत्पन्न हो रही है इस पर विचार करने की जरुरत है। एडवायजरी जारी करने की जरुरत क्यों पड़ रही है। देश में 75 साल में ऐसी एडवायजरी क्यों जारी नहीं की गई। क्यों ऐसी नौबत आई, क्या बदलाव हुआ है हमारे देश में, हमारे देश के नागरिकों के दिमाग में ऐसी कोई बात तो आई है जिसके कारण अब ऐसी परिस्थित उत्पन्न हो रही है।