- 24/07/2022
एक सप्ताह तक सरकारी दफ्तरों में लटके रहेगा ताला, यह है वजह
द तथ्य डेस्क। प्रदेशवासियों को अब अगले एक सप्ताह तक शासकीय कामकाज निपटाने के लिए इंतजार करना पड़ेगा। प्रदेश के लाखों कर्मचारी-अधिकारी कल 25 जुलाई से 29 जुलाई तक पांच दिवसीय हड़ताल पर जा रहे हैं। 30 तारीख शनिवार और 31 जुलाई रविवार पड़ेगा। शनिवार और रविवार को छत्तीसगढ़ में शासकीय छुट्टी रहती है। इस लिहाज से पूरे एक सप्ताह तक राज्य सरकार के तमाम दफ्तरों में काम काज पूरी तरह से ठप्प रहेगा। यह प्रदेश के अधिकारियों, कर्मचारियों द्वारा किया जाने वाला सबसे बड़ा हड़ताल होगा, क्योंकि इस हड़ताल को कर्मचारियों के सभी संगठनों ने अपना समर्थन दिया है।
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छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के बैनरतले कल से पांच दिवसीय कलमबंद-काम बंद हड़ताल शुरू होने वाला है। इस लिहाज से छत्तीसगढ़ में आने वाले एक सप्ताह तक किसी भी तरह का शासकीय कामकाज नहीं हो सकेगा। चूंकि इस हड़ताल में अधिकारी और कर्मचारी दोनों ही वर्ग शामिल है, लिहाजा आमजनों को अपना काम निपटाने के लिए अभी एक सप्ताह तक इंतजार करना होगा।
यह हड़ताल इसलिए भी काफी बड़ा होने वाला है, क्योंकि इसे कर्मचारियों के सभी संगठनों ने अपना समर्थन दिया है। कर्मचारियों के करीब 75 विभिन्न संगठनों ने कलमबंद-कामबंद हड़ताल का पुरजोर समर्थन का ऐलान पहले से ही कर दिया था। एक अनुमान के अनुसार इस पांच दिवसीय हड़ताल में प्रदेश के लाखों कर्मचारी शामिल होने वाले हैं, इनमें चतुर्थ श्रेणी वर्ग से लेकर अधिकारी वर्ग तक शामिल है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के नाम से बने इस संगठन में सभी वर्ग के शासकीय अधिकारी व कर्मचारी एक साथ जुड़ गए हैं।
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ये है हड़ताल की मुख्य वजह:
फेडरेशन के अनुसार सरकार द्वारा डी. ए. और एच. आर. ए. जैसे मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है। इसके अलावा 1 जुलाई 2019 से 1 जुलाई 2022 तक स्वीकृत होने वाले महँगाई भत्ता को केन्द्र सरकार के समान देय तिथि से राज्य सरकार के द्वारा प्रभावशील नहीं किया गया है। जिसके कारण कर्मचारियों एवं अधिकारियों को जबरदस्त आर्थिक चपत लगी है। केंद्र शासन ने 1 जनवरी 2019 के 12 प्रतिशत महँगाई भत्ता में 5 प्रतिशत वृध्दि कर 1 जुलाई 2019 से 17 प्रतिशत घोषित किया था। लेकिन राज्य शासन ने 1 जुलाई 2021 से महँगाई भत्ता में 5 प्रतिशत वृध्दि किया था। जिसके कारण 1 जुलाई 2019 से 30 जून 2021 तक प्रदेश के कर्मचारी, अधिकारियों के मासिक वेतन में 5 प्रतिशत का कटौती हुआ था।
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