• 02/11/2022

राज्योत्सव के आमंत्रण कार्ड में जनपद अध्यक्षों का भी नाम, लेकिन सांसद को आमंत्रित करना तक भूले, कहा- क्या दलित MP हूं इसलिए..?

राज्योत्सव के आमंत्रण कार्ड में जनपद अध्यक्षों का भी नाम, लेकिन सांसद को आमंत्रित करना तक भूले, कहा- क्या दलित MP हूं इसलिए..?

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छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से राज्योत्सव का रंगारंग आगाज़ हो गया है। राज्योत्सव में शामिल होने के लिए प्रदेश सरकार ने देश के सभी राज्यों में अतिथियों को आमंत्रित किया है। आमंत्रण पर कार्यक्रम में शामिल होेन देश विदेश से कलाकार सहित अन्य अतिथि छत्तीसगढ़ पहुंच रहे हैं। लेकिन राज्य स्थापना की इस खुशी में क्षेत्रीय सांसद को ही नजर अंदाज कर दिया गया। सांसद का नाम न तो आमंत्रण कार्ड पर ही है और न ही उन्हें आमंत्रित ही किया गया। मामले में मचे सियासी बवाल के बाद अब जिम्मेदारों ने चुप्पी साध ली है।

मामला जांजगीर-चांपा से अलग होकर अस्तित्व में सक्ति जिला का है। राज्योत्सव कार्यक्रम में गणमान्य लोगों को आमंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन ने कार्ड छपवाया लेकिन उसमें सांसद गुहाराम अजगले का नाम ही गायब है। और तो और जिला प्रशासन ने बीजेपी सांसद को कार्यक्रम में आमंत्रित तक नहीं किया। जबकि निमंत्रण कार्ड में विधायक के अलावा जिला पंचायत, जनपद पंचाय अध्यक्षों, नगर पालिका, नगर पंचायत के सभी अध्यक्षों के भी नाम का उल्लेख है।

निमंत्रण कार्ड में नाम नहीं छपवाने और आमंत्रित नहीं किए जाने पर सांसद ने नाराजगी जताई है। उन्होंने जिला प्रशासन पर सांसद की उपेक्षा करने का आरोप लगाया है। सांसद ने कहा कि मैं छत्तीसगढ़ का एकमात्र दलित सांसद हूं क्या इस वजह से मेरी उपेक्षा की गई यह डीएम बताएंगे।  उधर मामला सामने आते ही जैजैपुर विधायक केशव चंद्रा ने भी अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने इस पूरे मामले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

विधायक ने कहा, “सक्ति में जो कार्ड छपा है उसमें सांसद का नाम नहीं है। प्रशासन को बताना चाहिए कि क्यों उनका नाम नहीं डाले। अगर राजनैतिक कारण से नाम नहीं डाले हैं, दल के आधार पर नाम नहीं डाले हैं तो ये गलत परंपरा है। जनप्रतिनिधि सबके हैं। जनप्रतिनिधियों का सम्मान होना चाहिए।सांसद बीजेपी का है इस कारण से नाम नहीं डाला गया है तो यह प्रोटोकॉल का उल्लंघन है और बहुत गलत परंपरा की शुरुआत है।”

आपको बता दें प्रोटोकॉल के तहत आमंत्रण कार्ड में स्थानीय विधायकों के अलावा सांसदों का भी नाम देना अनिवार्य है। मामले में मचे बवाल के बाद अब जिला प्रशासन ने चुप्पी साथ ली है। इस पूरे मामले में कोई भी अधिकारी कुछ भी कहने से साफ बच रहा है। फिलहाल ये मामला सियासी तूल पकड़ता दिख रहा है।