• 25/06/2022

रेप के दोषी की फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने रखी बरकरार, दुष्कर्म के बाद दिव्यांग बच्ची का सर कुचलकर की थी निर्मम हत्या

रेप के दोषी की फांसी की सजा सुप्रीम कोर्ट ने रखी बरकरार, दुष्कर्म के बाद दिव्यांग बच्ची का सर कुचलकर की थी निर्मम हत्या

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मानसिक और शारीरिक रुप से दिव्यांग साढ़े सात साल की एक मासूम के साथ रेप और हत्या के मामले में एक व्यक्ति को मिली मौत की सजा को बरकरार रखा है। राजस्थान उच्च न्यायालय 29 मई 2015 को निर्मम हत्या और बलात्कार के दोषी को मौत की सजा सुनाई थी।

मामला साल 2013 का है। 17 जनवरी की शाम को राजसमंद निवासी मनोज प्रताप सिंह नशे में धुत्त होकर एक साढ़े सात साल की मानसिक और शारीरिक रुप से दिव्यांग बच्ची को उसके घर से अपहरण कर उसके साथ रेप किया और फिर पत्थर से उसके सिर पर वार कर निर्मम हत्या कर दी। लापता बच्ची को तलाश करने के बाद परिजनों ने पुलिस थाना में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई। बच्ची की पतासाजी के दौरान सूनसान इलाके में उसका शव मिला। मामले में पुलिस ने मनोज प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया था। जिला एवं सत्र न्यायालय में मामले की त्वरित सुनवाई हुई और 1 अक्टूबर को न्यायालय ने दोषी मनोज प्रताप सिंह को फांसी की सजा सुनाई थी।

न्यायालय ने सजा सुनाते हुए कहा था कि मनोज प्रताप सिंह ने असहाय और मानसिक रुप से विक्षिप्त बच्ची के साथ रेप करने के बाद उसकी बेरहमी से हत्या का घिनौना कृत्य किया। जो पूरी मानवता और समाज के लिए एक धब्बा है और मौत की सजा का हकदार है। दोषी का आपराधिक इतिहास रहा है। वह चोरी की वारदातों, है, सार्वजनिक संपत्तियों को नष्ट करने और हत्या के प्रयास के 4 मामलों में शामिल था। दोषी ठहराए जाने के बाद भी वो जेल में बंद एक अन्य साथी की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। उसके सुधरने की कोई गुंजाइश नहीं है और वो समाज के लिए खतरा है। ऐसे में उसे मौत की सजा से कम कोई भी सजा नहीं दी जा सकती। अपराधों की प्रकृति और उसके आचरण को देखते हुए बिना किसी छूट के पूरे प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास की सजा देने का विकल्प भी उचित नहीं लगता है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एएम खानविलकर, दिनेश माहेश्वरी और सी.टी. रविकुमार की तीन जजों की बेंच ने कहा कि वर्तमान प्रकृति के मामले में अपराध अत्याधिक क्रूरता का था, जो अंतरात्मा को झकझोर देता है। विशेष रूप से लक्ष्य को देखते हुए (साढ़े सात वर्षीय मानसिक और शारीरिक रूप से दिव्यांग लड़की) और फिर, हत्या करने के तरीके को देखते हुए, जहां असहाय पीड़ित का सिर सचमुच कुचल दिया गया था, जिसके परिणामस्वरूप कई चोटें आईं, जिसमें सामने की हड्डी का फ्रैक्च र भी शामिल था।

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