- 20/11/2022
CG की इस शिक्षिका ने पहले दिया कैंसर को मात, अब बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड
जिंदगी में जो कोई भी जहां है उसके पीछे कहीं न कहीं उसके शिक्षक या गुरु का एक अहम योगदान है। गुरु से मिली शिक्षा और प्रेरणा की बदौलत विद्यार्थी शिखर तक की यात्रा पूरी करता है। छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसी ही शिक्षिका हैं जिन्होंने न सिर्फ कैंसर जैसी बीमारी को मात दिया बल्कि उन्होंने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया। आज ये शिक्षिका अपने छात्रों को संघर्ष से हारने की नहीं बल्कि लड़कर जीतने की प्रेरणा दे रही हैं।
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हम बात कर रहे हैं कोरबा जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अरदा की अंग्रेजी की व्याख्याता मंजूषा नायर की। इन्होंने बजरंग बाण को एक मिनट चार सेकंड छः सेंटीसेकंड में पाठ कर इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है।
मंजूषा नायर को गले में कैंसर हो गया था। जिसकी वजह से वे लंबे समय तक बिस्तर पर रहीं। उन्होंने बताया कि इस बीमारी ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया था। कीमोथैरेपी की वजह से उनके बाल भी झड़ चुके थे। लोगों की नजरें उनकी बातें उन्हें परेशान कर देती थी। ऐसे में वो लोगों से मिलना तक बंद कर चुकी थीं। दिन रात वो सिर्फ हनुमान चालिसा और बजरंगबाण का ही पाठ करती थीं।
ऐसे बनाया विश्व रिकॉर्ड
मंजूषा का कहना है कि इससे उन्हें इस बीमारी से लड़ने की ताकत मिलती थी।। हालांकि लोगों की बातें उन्हें निराश कर देती थी। इसी बीच उन्होंने अपने मन में कुछ अलग करने की ठानी। जिसके बाद उन्होंने विश्व रिकॉर्ड बनाने की सोची। वे बताती हैं कि पिछले 30 सालों से बजरंग बाण और हनुमान चालिसा का पाठ करती थीं। इसी पर उन्होंने विश्व पटल पर अपना नाम अंकित करने का सोचीं। जिसके बाद वे लगातार प्रेक्टिस करती गई।
उन्होंने बताया कि इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स से संपर्क किया और फिर उन्हें अपना वीडियो भेजा।दुबारा कोशिश की और इस बार उन्होंने जो वीडियो भेजा। उसके बाद इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के अधिकारियों ने उनसे संपर्क किया। जहां उन्होंने उनके सामने बजरंग बाण का एक मिनट चार सेकंड छः सेंटीसेकंड में पाठ कर नया विश्व रिकॉर्ड बनाया।
उन्होंने रोटरी क्लब और पॉवरसिटी का भी शुक्रिया अदा किया है। जिन्होंने उन्हें कैंसर अवेयरनेस प्रोग्राम में बुलाया और वहां से ही उन्हें फिर से जीने की प्रेरणा मिली। उन्होंने बताया कि इस मुश्किल दौर में उनकी बुआ लता पनिकर और उनका भांजा राजीव नायर ने हर पल उनका साथ दिया। उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल वी.बी. तिर्की, एम.एस. कंवर सहित पूरे स्टाफ, एस.एम.डी.सी के सदस्य, परिवार और दोस्तों का शुक्रिया अदा किया है।
मंजूषा की यह उपलब्धि उनके छात्रों के साथ ही उनके लिए भी एक मिसाल बन गई है, जिन्होंने मुश्किल के दौर में उनका साथ छोड़ दिया था। खास तौर से ऐसे लोगों के लिए भी जो परिस्थितियों के सामने घुटने टेक देते हैं औऱ निराशा के भंवर में डूबकर अपनी जिंदगी खो देते हैं।
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