• 22/09/2023

शिक्षा विभाग में लालफीताशाही और तुष्टिकरण! शालेय शिक्षक संघ ने कहा- खत्म हो प्रभारवाद और पुनर्नियुक्ति प्रथा

शिक्षा विभाग में लालफीताशाही और तुष्टिकरण! शालेय शिक्षक संघ ने कहा- खत्म हो प्रभारवाद और पुनर्नियुक्ति प्रथा

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शालेय शिक्षक संघ ने राज्य के स्कूल शिक्षा विभाग में लालफीताशाही और तुष्टीकरण का आरोप लगाया है। संघ का कहना है कि इसकी वजह से कर्मचारी वर्ग हताश निराश है और राज्य की शिक्षा व्यवस्था डगमगा रही। छत्तीसगढ़ शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष विरेन्द्र दुबे ने कहा कि पिछले 05 वर्षों की समीक्षा से यह स्पष्ट हो जाता है कि राज्य में अपर संचालक, संयुक्त संचालक, उप संचालक, प्राचार्य आदि के हजारों पद रिक्त हैं किंतु इन पदों पर एक भी पदोन्नति नहीं हुई है। जिसकी आड़ में प्रभारवाद और पुनर्नियुक्ति तथा संविदा नियुक्ति के माध्यम से कनिष्ठ और अपात्र लोगों को उच्च पद से नवाजा जा रहा है। विभाग के वरिष्ठ और पात्र लोगों को न केवल पदोन्नति से वंचित होना पड़ रहा है बल्कि कनिष्ठ प्रभारी अधिकारियों के नियंत्रण में आने के कारण उनका मनोबल गिर रहा है।

विरेन्द्र दुबे ने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं व उनके कर्मचारियों की हालत यह है कि राज्य में प्राचार्य के लगभग 4600 पदों में से लगभग 3200 पद रिक्त हैं। इसके बावजूद लगभग 06 वर्षों से प्राचार्य पद पर एक भी पदोन्नति नहीं होना विभाग में हावी लालफीताशाही और तदर्थ वाद का प्रमाण है। विभाग की अकर्मण्यता के कारण 1994-95 से नियुक्त एल बी संवर्ग के व्याख्याता लगभग 30 वर्षों से एक ही पद पर बिना पदोन्नति व बिना उच्चतर वेतनमान के सेवाएं देने को बाध्य हैं लेकिन उनके सुध लेने वाला कोई नहीं है।

उन्होंने कहा इसी तरह लगभग 50000 उच्च शिक्षित शिक्षक लगभग 07 वर्षों से व्याख्याता पद पर पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं लेकिन विभाग पदोन्नति करने में अब तक असफल रहा। इस कार्य में विभाग को कोई रुचि भी नहीं है,यद्यपि लगभग 30000 पदों पर सीधी भर्ती करने में विभाग ने रुचि लेकर पूरा जोर लगा दिया।

विरेन्द्र दुबे ने कहा कि विभाग ने प्रधान पाठक तथा शिक्षक पदों पर पात्रता की शर्तों को शिथिल कर एक माह में पदोन्नति करने का फरमान दिसंबर 2021में निकाल तो दिया। लेकिन प्रक्रिया अब तक परिणिति तक नहीं पहुंची। रायपुर संभाग में तो प्रधान पाठक पूर्व माध्यमिक शाला में अब तक पदोन्नति नहीं हुई। पदोन्नति की प्रक्रिया भारी अनियमितता, भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद, लालफीताशाही और न्यायालयीन हस्तक्षेप की शिकार रही है। इन सबका खामियाजा हजारों कर्मचारियों व उनके परिवार को झेलना पड़ रहा है। ऐसी व्यवस्था के बीच समस्त सहायक शिक्षकों को अक्टूबर में पदोन्नत कर देने का सब्जबाग दिखाकर गुमराह किया जा रहा है।

गतवर्ष विभाग में किए गए स्थानांतरण भी अनियमितता और भ्रष्टाचार के कारण सुर्खियों में रहे। अभी भी हजारों प्रकरण उच्च न्यायालय में लंबित हैं जिनका निराकरण करने में विभाग असफल रहा है और हजारों कर्मचारियों की परेशानियों तथा शिक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ करने का सबब बना हुआ है।

शालेय शिक्षक संघ के प्रांताध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने मान.मुख्यमंत्री तथा स्कूल शिक्षामंत्री का ध्यानाकर्षण कराते हुए मांग की है कि – स्कूल शिक्षा विभाग में जारी लालफीताशाही और तुष्टीकरण पर अविलंब रोक लगाने के लिए प्रभारवाद और पुनर्नियुक्ति की प्रथा को बंद करें।

स्कूल शिक्षा विभाग में सुनिश्चित पदोन्नति की पारदर्शी व समयबद्ध नीति बनाकर उच्च स्तर से विद्यालय स्तर तक समस्त पदों की पूर्ति करके कर्मचारियों अधिकारियों को समुचित व अधिकतम अवसर प्रदान करे। विद्यालय स्तर के समस्त पदों प्राचार्य, व्याख्याता, प्रधान पाठक, व्यायाम शिक्षक, शिक्षक, ग्रंथपाल आदि पदों पर अविलंब पदोन्नति दी जावे।
स्कूल शिक्षा विभाग में स्थानांतरण की पृथक व पारदर्शी नीति बनाकर प्रतिवर्ष ग्रीष्म अवकाश में क्रियान्वयन का प्रावधान करें।

वीरेंद्र दुबे ने शिक्षक संवर्ग के विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों व शिक्षक साथियों से भी आह्वान किया कि विभाग की नाकामियों के विरुद्ध तथा शिक्षक संवर्ग के हितों के संरक्षण के लिए एकजुट होकर सरकार को समाधान के लिए बाध्य करें।

प्रांतीय महासचिव धर्मेश शर्मा, कार्यकारी प्रांताध्यक्ष चंद्रशेखर तिवारी, उपाध्यक्ष सुनील सिंह, विष्णु शर्मा, डॉ सांत्वना ठाकुर, प्रदेश मीडिया प्रभारी जितेंद्र शर्मा, सत्येंद्र सिंह, विवेक शर्मा, गजराज सिंह, राजेश शर्मा, शैलेन्द्र सिंह, प्रह्लाद जैन, सन्तोष मिश्रा, सन्तोष शुक्ला, शिवेंद्र चंद्रवंशी, दीपक वेंताल, यादवेंद्र दुबे, हिमन कोर्राम, सर्वजीत पाठक, मंटू खैरवार, पवन दुबे, भोजराम पटेल, विनय सिंह, आशुतोष सिंह, भानु डहरिया, रवि मिश्रा, कैलाश रामटेके, जितेंद्र गजेंद्र, अजय वर्मा, कृष्णराज पांडेय, घनश्याम पटेल, बुध्दहेश्वर शर्मा, प्रदीप पांडेय, जोगेंद्र यादव, देवव्रत शर्मा, अब्दुल आसिफ खान, अमित सिन्हा, विक्रम राजपूत आदि पदाधिकारियो ने सरकार से उपरोक्त मांगो पर जल्द से जल्द निर्णय लेने की मांग की है।