• 31/03/2024

‘नोटबंदी कालेधन को सफेद करने का तरीका था’, सुप्रीम कोर्ट की जज नागरत्ना ने मोदी सरकार के फैसले पर उठाया बड़ा सवाल

‘नोटबंदी कालेधन को सफेद करने का तरीका था’, सुप्रीम कोर्ट की जज नागरत्ना ने मोदी सरकार के फैसले पर उठाया बड़ा सवाल

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नोटबंदी को लेकर केन्द्र की मोदी सरकार विपक्ष सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं के लगातार निशाने पर रही है। अब सुप्रीम कोर्ट की जज ने नोटबंदी को लेकर केन्द्र सरकार के फैसले पर सवाल उठाया है। जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि नोटबंदी कालेधन को सफेद करने का एक तरीका था। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का निर्णय लिया था, जो कि कुल करेंसी का 86 फीसदी था। बाद 98 फीसदी नोट वापस आ गए।

सुप्रीम कोर्ट की जज ने कहा कि मुझे लगतार है कि यह केवल कालेधन को सफेद करने का एक तरीका था। 86 फीसदी मुद्रा को डिमोनेटाइज किया गया, लेकिन इसमें से 98 फीसदी तो वापस आ गया। सारा कालाधन सफेद हो गया। इसलिए मुझे लगता है कि यह कालेधन को सफेद करने का एक तरीका भर था। आम आदमी को इससे बहुत दिक्कत हुई। इस वजह से मुझे बहुत दुख हुआ। इसलिए मैं इससे सहमत नहीं थी।

जस्टिस बीवी नागरत्ना शनिवार को एनएएलएसएआर विधि विश्वविद्यालय (NALSAR Law University) में आयोजित ‘न्यायालय एवं संविधान सम्मेलन’ के पांचवें संस्करण के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा मामले को लेकर राज्यपाल की भूमिका पर भी कहा। उन्होंने कहा, ‘महाराष्ट्र के मामले में, यह सवाल था कि क्या राज्यपाल के पास फ्लोर टेस्ट कराने के लिए कोई ठोस सबूत थे। उनके पास कोई भी सबूत नहीं था जो यह बताए कि मौजूदा सरकार विधायकों का विश्वास खो चुकी है।’

जस्टिस नागरत्ना ने पंजाब के राज्यपाल से जुड़े मामले का जिक्र करते हुए निर्वाचित विधायिकाओं द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपालों द्वारा अनिश्चित काल के लिए ठंडे बस्ते में डाले जाने के प्रति आगाह किया।उन्होंने कहा, ‘किसी राज्य के राज्यपाल के कार्यों या चूक को संवैधानिक अदालतों के समक्ष विचार के लिए लाना संविधान के तहत एक स्वस्थ प्रवृत्ति नहीं है।’

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा, ‘मुझे लगता है कि मुझे अपील करनी चाहिए कि राज्यपाल का कार्यालय, हालांकि इसे राज्यपाल पद कहा जाता है, राज्यपाल का पद एक महत्वपूर्ण संवैधानिक पद है, राज्यपालों को संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए ताकि इस प्रकार की मुकदमेबाजी कम हो सके।’ उन्होंने कहा कि राज्यपालों को किसी काम को करने या न करने के लिए कहा जाना काफी शर्मनाक है।

आपको बता दें कि अक्टूबर 2016 में मोदी सरकार ने नोटबंदी का फैसला लिया था और 500 व 1000 के नोटों पर प्रतिबंध लगा दिया था।