• 18/03/2024

छत्तीसगढ़ की इस लोकसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला, जानिए सियासी समीकरण…क्या हैं जनता के मुद्दे?

छत्तीसगढ़ की इस लोकसभा सीट पर जबरदस्त मुकाबला, जानिए सियासी समीकरण…क्या हैं जनता के मुद्दे?

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डेस्क: लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं. सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंकनी शुरू कर दी है. छत्तीसगढ़ की बात करें तो यहां कुल 11 लोकसभा की सीटें हैं, जिनके अलग अलग सियासी समीकरण हैं.

दुर्ग लोकसभा सीट छत्तीसगढ़ की सबसे पुरानी सीटों में से एक है. 1996 से दुर्ग में बीजेपी का कब्जा है, केवल एक बार 2014 में मोदी लहर के बावजूद कांग्रेस के ताम्रध्वज साहू ने दुर्ग सीट पर जीत दर्ज किया था. लेकिन 2019 में बीजेपी ने वापसी की और विजय बघेल यहां से सांसद निर्वचित हुए. इस बार बीजेपी ने विजय बघेल को दौबारा मैदान में उतारा है. जबकि कांग्रेस ने राजेंद्र साहू को मैदान में उतारा है.

कौन हैं विजय बघेल?

  • साल 2000 में राजनीति की शुरुआत की
  • भिलाई नगर परिषद का चुनाव निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीता
  • साल 2003 में पाटन से कांग्रेस के टिकट से पर चुनाव लड़ा
  • विधानसभा में उन्हें हार का सामना करना पड़ा
  • इसके बाद विजय बघेल बीजेपी में शामिल हो गए
  • साल 2008 के विधानसभा चुनाव में पाटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा
  • विजय बघेल ने भूपेश बघेल को करारी शिकस्त दी थी
  • विजय बघेल 2019 में दुर्ग लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीतकर सांसद बने.
  • अब बीजेपी ने दुर्ग लोकसभा सीट से अपने सांसद विजय बघेल पर दोबारा भरोसा जताया है.

कौन हैं राजेंद्र साहू ?

  • राजेंद्र साहू दुर्ग कांग्रेस के प्रमुख नेताओं में से एक हैं
  • राजेंद्र की साहू समाज में अच्छी पकड़ है
  • कांग्रेस के काफी विवादित नेता भी रहे
  • अपनी ही पार्टी के मोतीलाल वोरा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था
  • एक बार निर्दलीय विधानसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार गए. 2018 में दोबारा कांग्रेस ज्वाइन कर ली
  • 2019 में राजेंद्र साहू भूपेश बघेल के चुनाव संचालक के तौर पर रहे

दुर्ग की राजनीति का इतिहास 

दुर्ग को छत्तीसगढ़ की राजनीति का प्रमुख केंद्र माना जाता है. देश की आजादी से लेकर 70 के दशक तक इस क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा था. लेकिन 1977 के चुनाव में यहां से कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा. लेकिन 1980 में कांग्रेस ने वापसी की और 1984 में भी जीत दोहराई. फिर 1989 में यहां जनता दल ने कांग्रेस को हराकर जीत हासिल किया. लेकिन वीपी सिंह की सरकार गिरने के बाद 1991 में कांग्रेस ने फिर एक बार यहां से जीत दर्ज की.

1996 के लोकसभा चुनाव के बाद ये सीट बीजेपी का गढ़ बन गई 1996 से लेकर 2009 तक लगातार पांच लोकसभा चुनावों में बीजेपी ने यहां जीत दर्ज की. लेकिन 2014 में मोदी लहर के बावजूद बीजेपी को यहां कांग्रेस ने हरा दिया. हालांकि, 2019 में बीजेपी ने वापसी की और विजय बघेल सांसद बने.

दुर्ग लोकसभा की समस्याएं:

दुर्ग शिवनाथ नदी के आसपास बसा हुआ है. यहां आद्यौगिक विकास सबसे अधिक देखने को मिलता है. यहां भिलाई स्टील प्लांट, एसीसी सीमेंट प्लांट, एल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट मौजूद है. इसलिए यहां मजदूरों के मुद्दे हावी हैं. इसलिए दुर्ग लोकसभा के शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी, शहरों में सड़क, पानी, बिजली, अस्पताल की सुविधाएं मुख्य मुद्दे हैं. वहीं दुर्ग लोकसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में खेती किसानी बेरोजगारी, आवास, स्वास्थ्य और शिक्षा ही मुख्य मद्दे हैं. भिलाई शहर को छत्तीसगढ़ के शिक्षा का केंद्र माना जाता है. इसलिए यहां स्टूडेंट्स की उच्च शिक्षा भी बड़ा मुद्दा रहा है.

दुर्ग में जातिगत समीकरण:

  • दुर्ग में साहू समाज का दबदबा
  • साहू समाज की परंपरागत सीट
  • कुर्मी और सतनामी समाज की भी धाक