• 19/03/2024

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा सहित 14 को उम्रकैद, फर्जी मुठभेड़ का है मामला

एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा सहित 14 को उम्रकैद, फर्जी मुठभेड़ का है मामला

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देश के नामी-गिरामी एनकाउंटर स्पेशलिस्ट प्रदीप शर्मा को बॉम्बे हाई कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। उन्हें ये सजा रामनारायण गुप्ता उर्फ लखन भैया के फर्जी एनकाउंटर के मामले में सुनाई गई है।

मामला नवंबर 2006 का है। प्रदीप शर्मा ने छोटा राजन गिरोह के सदस्य लखन वर्मा को मुंबई के वर्सोवा में एक एनकाउंटर में मार गिराया था। जांच में इस एनकाउंटर को फर्जी पाया गया था। हाईकोर्ट की जस्टिस रेवती मोहिते और जस्टिस गौरी की डिविजन बेंच ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई उम्रकैद की सजा को यथावत रखा गया। जिसमें 13 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

इन पर आरोप था कि इन्होंने लखन भैया को नवी मुंबई के वाशी इलाके से किडनैप किया गया था। लखन के साथ ही उसके एक दोस्त अनिल भेड़ा को भी पकड़ा गया था। इस मामल में कोर्ट ने 6 आरोपियों को बरी कर दिया है। जबकि 2 की मौत होने के बाद उनके खिलाफ केस बंद हो गया। हाईकोर्ट में अपील दाखिल होने के बीच ही इनकी मौत हो गई थी।

12 जुलाई 2013 को मुंबई की सेशंस कोर्ट ने प्रदीप शर्मा को इस मामले में बरी कर दिया था। लेकिन प्रदीप सूर्यवंशी सहित अन्य लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी।

वकील राजीव चव्हाण के मुताबिक पुलिस ने लखन भैया और उसके साथी अनिल भेड़ा  को वाशी स्थित उसके घर उठा लिया था। उसके बाद 11 नवंबर 2006 को एक फेक एनकाउंटर में उन्हें मार गिराया। पुलिस ने दावा किया था कि लखन भैया छोटा राजन गैंग का सदस्य था और उस पर हत्या, हत्या का प्रयास और फिरौती के कई मामले दर्ज थे।

लखन भैया के भाई राम प्रसाद गुप्ता ने इस मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर कोर्ट ने फेक एनकाउंटर के आरोपों की मजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया था।

जांच के बाद मजिस्ट्रेट ने 11 अगस्त 2008 को अपनी हाईकोर्ट में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। रिपोर्ट में एनकाउंटर को फेक बताया गया था और कहा था कि हत्या पूरी प्लानिंग के तहत की गई थी। रिपोर्ट के बाद हाईकोर्ट ने एसआईटी का गठन किया और फेक एनकाउंटर की फिर से जांच हुई। जांच पूरी होने के बाद एसआईटी ने चार्जशीट दाखिल की। जिसमें 22 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें जनार्दन भंगी नाम का एक शख्स भी शामिल था। कहा गया कि उसका लखन भैया के साथ जमीन का विवाद चल रहा था। जिसके चलते प्रदीप शर्मा और प्रदीप सूर्यवंशी को उसकी हत्या का कॉन्ट्रेक्ट दिया था।