• 17/07/2022

श्रीलंका की दो बेटियों का दर्द खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय ने ऐसे किया दूर कि चेहरे पर आ गई मुस्कान

श्रीलंका की दो बेटियों का दर्द खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय ने ऐसे किया दूर कि चेहरे पर आ गई मुस्कान

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द तथ्य डेस्क। श्रीलंका गंभीर आर्थिक संकटों के साथ अब राजनीतिक हालातों से जूझ रहा है। उसका असर वहां रह रही आम जनता के ऊपर पड़ा है, जिसका नतीजा था कि जनता को सड़क पर उतरने के लिए मजबूर होना पड़ा। वहां के हालातों का असर यहां पढ़ रहे छात्र-छात्राओं पर भी पड़ रहा है। ऐसी ही संकटों से जूझ रही दो छात्राओं का दर्द छत्तीसगढ़ के एकमात्र संगीत विश्वविद्यालय ने न सिर्फ समझा बल्कि उनकी परीक्षा फीस के साथ ही हॉस्टल की फीस भी माफ कर दी। श्रीलंका की दोनों छात्राएं खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय में संगीत की शिक्षा ले रही हैं और यहीं हॉस्टल मे ही रहती हैं।

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खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में श्रीलंका के कुल 14 बच्चे संगीत की शिक्षा ले रहे थे। इनमें से 12 किसी तरह से अपने देश श्रीलंका वापस लौट गए हैं। मगर दो बच्चियां जिनका नाम चुमोदिया जयामिनी और सौभाग्या हेरथ है आर्थिक परेशानियों के चलते यहीं रूकी हुई हैं। इनमें से जयामिनी ने बताया कि श्रीलंका में उपजे गंभीर संकट के चलते वो अपने घर नहीं जा रही है। पेशे से स्कूली टीचर उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वो अपनी बेटी को वापस घर बुला सकें। वहीं मां गृहणी हैं, घर में छोटा भाई और बहन भी है। जयामिनी ने बताया कि सप्ताह में एक से दो बार ही बात हो पा रही है। परिजन उसके इस बात से अपने आप को दिलासा दे रहे हैं कि बेटी सुरक्षित है।

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वहीं जयामिनी ने बताया कि श्रीलंका मे खाने-पीने की भारी दिक्कत हो रही है। पेट्रोल के लिए दो से तीन दिन तक लाईन लगाना पड़ रहा है। श्रीलंका से कुल 14 बच्चे खैरागढ़ में रहकर पढ़ाई कर रहे थे। लेकिन 12 स्टूडेंट वापस लौट गए हैं, अब केवल जयामिनी और सौभाग्या ही यहां रह गई है। जयामिनी ने बताया कि वो रोज प्रार्थना करती है कि उसके परिजन सुरक्षित रहें और देश के हालत जल्द सुधर जाएं। उसने बताया कि पहले 40 से 45 हजार में एयरटिकट आसानी से मिल जाता था, अब इसकी कीमत बढ़कर 75 से 80 हजार हो गया है। उसके परिवार की हालत ऐसी नहीं है कि वो इतनी महंगी टिकट लेकर उसे वापस घर बुला सकें।


प्रबंधन ने दिखाई मानवता
श्रीलंका में निर्मित गंभीर स्थिति को देखते हुए खैरागढ़ विश्वविद्यालय प्रबंधन समिति ने श्रीलंका के बच्चों से फीस नहीं लिया बल्कि उनकी आर्थिक दिक्कतों को देखते हुए परीक्षा फीस माफ कर उन्हें परीक्षा में शामिल किया गया। यही नहीं जयामिनी और सौभाग्या के हॉस्टल फीस को भी माफ कर दिया गया है ताकि बच्चियों को किसी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े और उनकी पढ़ाई पर भी कोई व्यवधान न आए।

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