• 24/07/2022

ये शख्स निकालता था नशेड़ियों का खून और फिर…

ये शख्स निकालता था नशेड़ियों का खून और फिर…

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द तथ्य डेस्क। रक्तदान को जीवनदान कहा जाता है। रक्तदान से जहां किसी की जान बचती है तो वहीं कुछ लोग इसे पुण्य कार्य समझकर बेझिझक रक्तदान करते हैं। लेकिन कुछ लोगों की नजर में यह जल्दी पैसा कमाने का एक आसान रास्ता है। कुछ ऐसा ही मामला बिहार के पटना में सामने आया है। जहां एक व्यक्ति लैब टेक्नीशियन के साथ मिलकर खून बेचने का गोरखधंधा चला रहा था।

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पुलिस की माने तो पटना (बिहार) के कोतवाली क्षेत्र में किसी की सोने की लॉकेट चोरी हो गई थी। मामला पुलिस तक आया तो पुलिस ने मुखबीर लगाया। इसी बीच पता चला कि पत्रकार नगर थाना क्षेत्र में संतोष नामक व्यक्ति एक गैंग चलाता है। पुलिस ने संतोष के घर दबिश देकर उसे पकड़ लिया और मामले को सुलझा लिया।

लेकिन पुलिस ने जब उसके घर की तलाशी ली तो पुलिस की आंखे भी फटी की फटी रह गई। पुलिस को आरोपी के घर में रखे फ्रिज में कई पैकेट खून मिले। पुलिस ने तत्काल इसकी सूचना वरिष्ठ अफसरों को दी जिसके बाद औषधि विभाग की टीम जांच-पड़ताल में जुट गई।

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पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने संतोष के साथ अजय कुमार द्विवेदी नामक व्यक्ति को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि आरोपी संतोष एक लैब टेक्नीशियन है, वहीं अजय का संपर्क नशेड़ियों से है। अजय नशेड़ियों को पैसों का लालच देकर खून देने के लिए राजी करता था और संतोष उनका खून बिना किसी जांच के निकालकर पैकेटों में रख देता था।

इसके बाद वह किराए के एक मकान में रखे अपने फ्रिज में यह खून का पैकेट रख देता था। इस काम के लिए संतोष प्रति व्यक्ति के हिसाब से अजय को 1000 रूपए देता था। अजय के अनुसार वह नशेड़ियों को 700 रूपए देकर 300 रूपए खुद रख लेता था। वहीं संतोष इस खून को जरूरतमंदों को  जुगाड़ का हवाला देकर 5 से 10 हजार रूपए में बेच देता था। इस तरह उसके द्वारा बेचे गए खून को करीब 200 लोगों पर अब तक चढाया जा चुका है।

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क्या कहते हैं जानकार:
इस संबंध में जानकारों का कहना है कि रक्तदान के पूर्व ही डोनर की पूरी तरह से जांच होती है। इसमें डोनर की एचआईवी, हेपेटाइटिस बी और सी, मलेरिया और यौन जनित बीमारी की जांच होनी चाहिए। इसके बाद खून को 2 से 6 डिग्री तक डिप फ्रिजर में रखा जाता है जिसे 30 दिनों के अंदर मांग होने पर तैयार करके दिया जाता है। खून के पैकेट में डोनर की पूरी डिटेल होनी चाहिए।

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