• 24/07/2022

यह जीव बनाता है स्टील से 10 गुना ज्यादा मजबूत पदार्थ, बन सकता है बुलेट प्रूफ जैकेट, भारतीय प्रोफेसर का दावा

यह जीव बनाता है स्टील से 10 गुना ज्यादा मजबूत पदार्थ, बन सकता है बुलेट प्रूफ जैकेट, भारतीय प्रोफेसर का दावा

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द तथ्य डेस्क। यदि यह कहा जाए कि मकड़ियों के जाल से स्टील से भी 10 गुना ज्यादा मजबूत बुलेट प्रूफ जैकेट और ब्रिज केबल बनाया जा सकता है तो शायद आपको आश्चर्य होगा, यही नहीं मकड़ियों के रेशम धागे बनाने वाली जीन को यदि समुद्री बैक्टीरिया में डाला जाए तो इससे रेशम का उत्पादन होगा जिससे कपड़े भी तैयार किए जा सकते हैं।

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यह दावा होलकर साइंस कालेज-इंदौर के जूलॉजी विभाग के प्रोफेसर विपुल कीर्ति शर्मा ने किया है। प्रोफेसर शर्मा ने मकड़ियों से जुड़ी अपनी रिसर्च और जानकारियों को एक पुस्तक में प्रकाशित किया है। इस पुस्तक का नाम उन्होंने मकड़ियों का अद्भूत संसार रखा है, नेशनल बुक ट्रस्ट से प्रकाशित इस पुस्तक के प्रकाशित होते ही मकड़ियों से जुड़े कई भ्रम भी टूट रहा है। वहीं मकड़ियों की मानव जीवन में उपयोगिता कितनी अधिक है, इसका भी धीरे-धीरे खुलासा हो रहा है। विपुल कीर्ति शर्मा ने बताया कि कई लोग मकड़ियों को देख कर डर जाते हैं या उन्हें मार देते हैं, जबकि मकड़ियों मनुष्यों की दोस्त है। यही वजह है कि वैज्ञानिक मकड़ियों को तीन कारणों से बेहद मूल्यवान समझते हैं।

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मकड़ी के जालों के धागे बहुत हल्के लचीले लेकिन उतने ही मजबूत होते हैं। हम सामान्य तौर पर उन्हें झाडू या हाथ से तोड़ देते हैं, दरअसल ये जाले टूटते नहीं हैं बल्कि मुड़ जाते हैं। मकड़ियों के जालों के इस गुण का उपयोग मेडिकल और एरोस्पेस के क्षेत्र में व्यापक रूप से हो सकता है। अब वैज्ञानिकों का यह प्रयास है कि किसी भी तरह से मकडिऋयों के जीन्स को बैक्टीरिया में डाला जाए और इससे ज्यादा मात्रा में सिल्क प्रोटीन बनाया जाए। क्योंकि मकड़ियों के इस सिल्क प्रोटीन का उपयोग ब्रिज केबल, बुलेट प्रूफ जैकेट बनाने में किया जा सकता है।

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वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि मकड़ियों के जीन्स को बैक्टीरिया में डाला जाए और ज्यादा मात्रा में सिल्क प्रोटीन बनाया जाए क्योंकि मकड़ियां अपनी ही प्रजाति की दूसरी मकड़ियों को खा जाती हैं। इस सिल्क प्रोटीन का उपयोग ब्रिज केबल, बुलेट प्रूफ जैकेट आदि बनाने में इस्तेमाल किए जा सकता है। प्रोफेसर शर्मा का दावा है कि टूटी हड्डियां और लिगामेंट जोड़ने के लिए वर्तमान में डॉक्टर्स स्टील प्लेट का उपयोग करते हैं जो कई केसेस में इन्फेक्शन और हड्डियां सड़ाने का काम करती हैं। यदि इसकी जगह सिल्क प्रोटीन जो नेचुरल प्रोटीन से बना होता है, इसका उपयोग करने से लिगामेंट वापस बन सकती है जो अब तक संभव नहीं हो सका है। इस काम में सबसे बड़ी मुश्किल बात यह है कि मकड़ियां अपने जीवनकाल में बहुत कम रेशम पैदा करती हैं। लाखों मकड़ियों से भी इतना रेशम नहीं मिल सकता। इसका दुखद कारण यह भी है कि मकड़ियां इलाके बनाकर रहती हैं और स्वजाति भक्षी होती हैं। दो मकड़ियां एक साथ नहीं रहती।

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