• 08/01/2024

ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान राम ने यहां की थी तपस्या, तब से गंगा 200 मीटर तक बगैर शोर के बहती हैं

ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान राम ने यहां की थी तपस्या, तब से गंगा 200 मीटर तक बगैर शोर के बहती हैं

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उत्तराखंड के ऋषिकेश ब्रह्मपुरी में गंगा तट पर एक गुफा में भगवान राम ने वर्षों तक तपस्या की थी। इस गुफा को राम तपस्थली कहा जाता है। स्कंदपुराण के मुताबिक रावण का वध करने के बाद भगवान राम को ब्रह्म हत्या का पाप लगा था। ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए भगवान राम तीर्थनगरी में तपस्या के लिए आए थे।

ऋषिकेश से आठ किमी दूर ब्रह्मपुरी स्थित है। यहां पर भगवान राम तपस्थली आश्रम है। आश्रम की तलहटी और गंगा के किनारे एक गुफा है। इसी गुफा में भगवान राम ने घनघोर तपस्या की थी। आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर दयाराम दास ने बताया कि नदी की तलहटी होने की वजह से गंगा नदी का शोर उनकी तपस्या में बाधा उत्पन्न कर रहा था।

तपस्या में बाधा न पड़े, इसलिए भगवान राम वहां से उठकर आगे की ओर चलने लगे। उसी दौरान मां गंगा प्रकट हो गईं और भगवान राम से बोलीं, हे प्रभु आप मेरे किनारे को छोड़कर कहां जा रहे हैं। तब भगवान राम ने कहा, हे गंगे तुम्हारा शोर मेरी तपस्या में बाधा उत्पन्न कर रहा है।

जिस पर गंगा ने भगवान राम को वचन दिया कि आपकी तपस्या में कोई रुकावट नहीं होगी। इसके लिए वह यहां से कई मीटर दूर तक बिना शोर करते हुए बहेंगी।

जिसके बाद भगवान राम यहां गुफा के अंदर तप साधना में लीन हो गए। तब से लेकर अब तक यहां तकरीबन 200 मीटर तक गंगा नहीं बिना शोरगुल के प्रवाहित हो रही हैं।

एक और मान्यता है कि त्रिवेणीघाट स्थित रघुनाथ मंदिर में भी भगवान राम ने तपस्या की थी। पौराणिक मान्यता है कि रावण वध के बाद भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति के लिए त्रिवेणीघाट में यमुनाकुंड के समीप ही कई साल तक रघुनाथ मंदिर में भी तपस्या की थी। उसके बाद भगवान राम ब्रह्मपुरी की ओर रवाना हो गए थे। जिसके बाद से यह मंदिर रघुनाथ मंदिर के नाम से विख्यात हो गया।

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