• 06/04/2024

क्या हैक हो सकता है EVM, कैसे काम करती है ये मशीन? वोट करते वक्त इन बातों का रखें ख्याल..

क्या हैक हो सकता है EVM, कैसे काम करती है ये मशीन? वोट करते वक्त इन बातों का रखें ख्याल..

Follow us on Google News

चुनाव नजदीक आते ही EVM पर बार-बार सवाल खड़े होने लगते हैं। EVM हमेशा से ही विपक्ष के लिए बड़ा मुद्दा रहा है। चुनावी मौसम आते ही इसके हैक होने की बातें कही जाती हैं। लेकिन सवाल ये है की क्या ईवीएम को वाकई में हैक किया जा सकता है। ईवीएम काम कैसे करता है..कुछ ऐसे ही सवालों के जवाब हम आपको इस लेख में दे रहे हैं।

लोकसभा चुनाव की तैयारी राजनीतिक दलों के साथ प्रशासन ने भी जोर से शुरू कर दी है। खासतौर पर EVM को किस तरह से हैंडल करना है, सुरक्षित तरीके से वोटिंग कैसे करानी है और मतदान पूर्ण हो जाने के बाद इसे कैसे सील कर स्ट्रांग रूम तक पहुंचना है। इस पर निर्वाचन आयोग का खास फोकस है।

EVM क्या होता है?

ईवीएम का मतलब है इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन। साधारण बैटरी पर चलने वाली एक ऐसी मशीन, जो मतदान के दौरान डाले गए वोटों को दर्ज करती है और वोटों की गिनती भी करती है। ये मशीन तीन हिस्सों से बनी होती है। एक होती है कंट्रोल यूनिट (CU), दूसरी बैलेटिंग यूनिट (BU)। ये दोनों मशीनें पांच मीटर लंबी एक तार से जुड़ी होती हैं और तीसरा हिस्सा होता है- VVPAT.

कंट्रोल यूनिट (CU) क्या होता है?

कंट्रोल यूनिट, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का दिमाग होता है। इसमें डिस्प्ले लगा होता है। इसे एक्टिव करते ही मशीन की पूरी जानकारी मिल जाती है। बैटरी कितनी चार्ज है, कितने वोट अब तक डाले गए आदि जानकारी डिस्प्ले होती है। बैलट यूनिट को कंट्रोल यूनिट के जरिए ही एक्टिवेट किया जाता है। इसे एक्टिवेट करने के बाद ही वोटिंग की प्रक्रिया आगे बढ़ती है। यह मतदान दल के अधिकारी क्रमांक 3 के पास होता है। जिसका बटन दबाकर वह वोटिंग के लिये बैलट यूनिट को एक्टिवेट करते हैं।

बैलेट यूनिट को समझिए…

कंट्रोल यूनिट से ही बैलेट यूनिट को एक्टिवेट किया जाता है। बैलट यूनिट एक्टिवेट होते ही सबसे ऊपर हरे रंग की बत्ती जलती है। बैलेट यूनिट में ही सूची की तरह क्रमवार प्रत्याशियों के नाम, फोटो और उनके चुनाव चिन्ह अंकित होते हैं। प्रत्याशी के समक्ष नीले रंग का बड़ा बटन मौजूद होता है। मनपसंद प्रत्याशी के सामने वाला नीला बटन दबाते ही बीप का साउंड आयेगा और वोटिंग की प्रक्रिया पूरी हो जाती है। एक बैलेट यूनिट में अधिकतम 16 प्रत्याशियों के नाम शामिल किये जा सकते हैं। यदि किसी भी क्षेत्र में प्रत्याशियों की संख्या 16 से अधिक हुई, तो एक से अधिक बैलेट यूनिट लगाई जाती है।

VVPAT का क्या होता है काम?

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में पहले कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट ही हुआ करते थे। विश्वसनीयता पर सवाल उठने के बाद इसमें वोटर वैरिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) को भी शामिल किया गया है। जिसे कंट्रोल यूनिट और बैलेट यूनिट के बीच में रखा जाता है। बैलट यूनिट का बटन दबाते ही एक पर्ची डिस्प्ले होती है को मतदाता वीवीपैट में देख सकते हैं। इससे वह पुष्टि कर सकते हैं कि जिस प्रत्याशी का बटन उन्होंने दबाया है, उसके नाम की ही पर्ची कटी है। यह सभी पर्ची भी वीवीपैट मशीन में एकत्र हो जाती है। हालांकि यह पर्ची मतदाताओं को दी नहीं जाती। लेकिन काउंटिंग के समय इसे इस्तेमाल में लिया जाता है।

वोटिंग के दौरान बैलेट यूनिट में अपने पसंदीदा प्रत्याशी को वोट देने के बाद यदि मतदाता ने जिस प्रत्याशी को वोट दिया है, उसके नाम की पर्ची वीवीपैट में डिस्प्ले नहीं होती, तो मतदाता इसकी शिकायत तत्काल मतदान केंद्र के पीठासीन अधिकारी से कर सकता है। ऐसी स्थिति में तत्काल वीवीपैट मशीन को खोलकर पर्चियों की गणना की जाती है।

EVM काम कैसे करता है?

ईवीएम मशीनों के संबंध में जानकारी देते हुए मास्टर ट्रेनर ने हमें जानकारी दी है कि सबसे पहले वोटिंग के लिए कंट्रोल यूनिट से बैलेट यूनिट को एक्टिवेट किया जाता है। इसके बाद बैलेट यूनिट में हरे रंग की लाइट डिस्प्ले होती है। इसके बाद मतदाता अपने मनपसंद प्रत्याशी के समक्ष वाले नीले बटन को दबाकर मतदान करते हैं। बीप के साउंड आते ही उनका मतदान पूरा हो जाता है।

ध्यान रहे कि बटन को एक बार ही दबाना है। एक बार से अधिक बटन को नहीं दबाना है। बटन दबाने के बाद वीवीपैट मशीन में एक पर्ची कटेगी, जिसे मतदाता देख सकते हैं. मतदाता इससे पुष्टि कर सकते हैं कि जिस प्रत्याशी का बटन उन्होंने दबाया है, पर्ची भी उसी के नाम की कटी है या नहीं।

क्या EVM हैक हो सकती है?

चुनाव आयोग के मुताबिक, EVM मशीन कंप्यूटर से कंट्रोल नहीं होती हैं। ये स्टैंड अलोन मशीन होती हैं जो इंटरनेट या किसी दूसरे नेटवर्क से कनेक्ट नहीं होती हैं। इसलिए ये हैकिंग से पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके अलावा ईवीएम में डेटा के लिए फ्रीक्वेंसी रिसीवर या डिकोडर नहीं होता है, इसलिए किसी भी वायरलेस डिवाइस, वाई-फाई या ब्लूटूथ डिवाइस से इसमें छेड़छाड़ करना संभव नहीं है।

वोटिंग के बाद EVM को चुनाव आयोग कड़ी सुरक्षा के बीच रखता है। इन्हे सीलबंद कर दिया जाता है और गिनती के दिन ही खोला जाता है। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने भी EVM को चुनावों के लिए विश्वसनीय माना है।