• 20/10/2023

लेमरू एलीफेंट कॉरीडोर में आने वाले कोल ब्लॉक को केन्द्र सरकार ने नीलामी से किया बाहर

लेमरू एलीफेंट कॉरीडोर में आने वाले कोल ब्लॉक को केन्द्र सरकार ने नीलामी से किया बाहर

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केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में लेमरू एलीफेंड कॉरिडोर के दायरे सहित 40 कोल ब्लॉकों को नीलामी की सूची से बाहर कर दिया है। हसदेव अरण्य के नौ कोयला खदानों को भी कोयला ब्लॉकों की नीलामी के अगले दौर के लिए बाहर रखा गया है। कोल मंत्रालय द्वारा गुरुवार को जारी एक बयान में इसकी जानकारी दी गई है। इसके साथ ही कहा गया है कि जंगल को नुकसान पहुंचने से बचाने के लिए अब भूमिगत खदानों पर विचार किया जाएगा।

जितने भी कोल ब्लॉक को नीलामी से बाहर रखा गया है वे सभी ओपन कास्ट थे। ऐसी खदानों के लिए बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई करनी पड़ती है। ऐसे में जंगल का एक बड़ा हिस्सा खत्म हो जाता है। वहीं ऐसी जगहों पर रहने वाले आदिवासियों को अपने घर और गांव से हाथ धोना पड़ता था।

मंत्रालय ने क्या कहा अपने बयान में

कोयला मंत्रालय ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और राज्य सरकारों की अनुशंसाओं को हमेशा ध्यान में रखा है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सुझावों की अनदेखी करके किसी कोयला खदान की नीलामी तक नहीं की गई है। उदाहरण के लिए, लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर के अंतर्गत आने वाली कोयला खानों को गैर-अधिसूचित करने के छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध को स्वीकार कर लिया गया है। कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) की कोयला खानों का भी विकास नहीं किया जा रहा है और कैप्टिव कोयला ब्लॉकों को भी नीलामी के दायरे से बाहर रखा गया है। छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर लेमरू एलिफेंट कॉरिडोर से आगे के क्षेत्रों को भी छूट देने पर विचार किया गया है। छत्तीसगढ़ के लगभग 10 प्रतिशत आरक्षित क्षेत्र वाले 40 से अधिक नए कोयला ब्लॉकों को कोयला खनन से बाहर रखने का निर्णय लिया गया है। हसदेव-अरंड के घने कोयला क्षेत्र में आने वाली नौ कोयला खदानों को भी कोयला ब्लॉकों की नीलामी के अगले दौर के लिए बाहर रखा गया है।

भूमिगत कोयला खदान बनाने के लिए नीति तैयार

मंत्रालय इस तथ्य से अवगत है कि भूमिगत कोयला खनन को बढ़ावा देने से पर्यावरण संरक्षण में सहायता मिल सकती है। तदनुसार, भूमिगत कोयला खनन को बढ़ावा देने के लिए नीति तैयार की गई है। खनिकों की निरंतर तैनाती, हाई-वॉल और लॉंग-वॉल के माध्यम से प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा दिया गया है। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने भूमिगत खानों के लिए प्रतिपूरक वनीकरण आवश्यकता से छूट की भी अनुमति प्रदान की है। निजी सेक्टर के माध्यम से खानों के प्रचालन में भूमिगत खनन में रुचि आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन प्रावधानों पर विचार किया जा रहा है।