• 25/09/2022

आस्था या अंधविश्वास: भूतड़ी अमावस्या पर यहां लगता है ‘भूतों का मेला’, जानिए क्या है पूरी हकीकत…

आस्था या अंधविश्वास: भूतड़ी अमावस्या पर यहां लगता है ‘भूतों का मेला’, जानिए क्या है पूरी हकीकत…

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बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में भूतड़ी अमावस्या पर 52 कुंड पर भूतो का मेला लगा हुआ है. यहां की मान्यता है कि जिस पर भी बुरी आत्मा का साया हो और वो एक बार 52 कुंड में से सूर्य कुंड और ब्रहम कुंड में भूतड़ी अमावस्या पर डुबकी लगाकर स्नान करता है तो सभी प्रकार की तो उस पर से सभी प्रकार की अला-बला दूर हो जाती है.

खास तौर पर भूतड़ी अमवस्या के दिन यहां पर लगने वाले मेले को भूतों के मेले के रूप में जाना जाता है. शरीर में लगी बुरी आत्माओं को भगाने के लिए इन दोनों कुंड में डुबकी लगाई जाती है. शरीर में लगी बुरी आत्माओं को भगाने के लिए इन दोनों कुंड में डुबकी लगाई जाती है.

मान्यता है की ऐसा करने से सभी आत्माओं को मोक्ष की प्राप्ति होती है. स्कन्द पुराण में भी इसका उल्लेख मिलता है. सूर्य कुंड, ब्रह्म कुंड और सूर्य मंदिर यंहा स्थापित थे. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं और शरीर में लगी बुरी आत्मा को भगाने के लिए मां शिप्रा में डुबकी लगाते हैं.  श्रद्धालुओं का मानना है कि एक डुबकी से ही बुरी आत्मा से छुटकारा मिल जाता है.

भूतड़ी अमावस्या का खास दिन होने के कारण उज्जैन के शिप्रा तट, रामघाट, सिद्धवट और 52 कुंड केडी पैलेस पर देशभर के हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. वहीं पितरों के तर्पण और पूजन भी किया.

आपको बता दें कि बावन कुंड पर भूतड़ी अमावस्या पर ‘भूतों का मेला’ लगता है. मान्यता है कि कुंड में डुबकी लगाने से जहां बुरी आत्माओं से छुटकारा मिलता है, वहीं व्यक्ति के लिए मोक्ष के रास्ते भी खुल जाते हैं. इसका उल्लेख स्कन्ध पुराण में भी हुआ है.

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