- 23/04/2024
विश्व टीकाकरण सप्ताह: जानिए कैसे ये टीके आपके जीवन को सुरक्षित रखने में मददगार हैं
हर साल अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में विश्व टीकाकरण सप्ताह मनाया जाता है। इस साल यह 24-30 अप्रैल को मनाया जायेगा। इसका मुख्य उद्देश्य जानलेवा बीमारियों से सभी उम्र के लोगों की रक्षा करने में टीकाकरण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक कर टीका लेने के लिए सामूहिक रूप से प्रेरित करना है।
टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम (ईपीआई) ने 1974 में सभी बच्चों को बचपन 6 की बीमारियों से बचाने पर ध्यान केंद्रित किया था। लेकिन आज, यह संख्या जीवन भर में सार्वभौमिक रूप से अनुशंसित 13 टीकों का है।वहीं खास क्षेत्र व बीमारियों को देखते हुए सिफारिशों के आधार पर 17 अतिरिक्त टीकों तक बढ़ गई है।जीवन भर टीकाकरण कार्यक्रम के विस्तार के साथ अब हम इसे टीकाकरण पर आवश्यक कार्यक्रम कहते हैं।
अपनी संयोजक शक्ति के माध्यम से विश्व स्वास्थ्य संगठन टीकों और टीकाकरण के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए दुनिया भर के देशों के साथ लगातार काम करता है। साथ ही यह सुनिश्चित करता है कि सरकारें उच्च गुणवत्ता वाले टीकाकरण कार्यक्रमों को लागू करने के लिए आवश्यक मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता प्राप्त करें।
इस वर्ष विश्व टीकाकरण सप्ताह टीकाकरण पर विस्तारित कार्यक्रम के 50 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाएगा।टीके से रोकी जा सकने वाली बीमारियों से अनगिनत जिंदगियों को बचाने और बेहतर बनाने के हमारे सामूहिक प्रयासों को मान्यता देते हुए और देशों से अगली पीढ़ियों की सुरक्षा के लिए टीकाकरण कार्यक्रमों में निवेश बढ़ाने का आह्वान किया जाएगा।
केवल 5 दशकों में हम एक ऐसी दुनिया से चले गए जहां एक बच्चे की मृत्यु से कई माता-पिता डरते थे, एक ऐसी दुनिया में जहां हर बच्चे को अगर टीका लगाया जाए तो जीवित रहने और पनपने का मौका मिलता है।
- इसके तहत देश में हर साल शून्य से पांच वर्ष तक की आयु के बच्चों को बीसीजी, पोलियो, न्यूमोकोकल कंजुगेट वैक्सीन, हेपेटाइटिस बी, रोटावायरस वैक्सीन, खसरा व रूबेला (एमआर), जापानी एन्सेफलाइटिस, डिप्थीरिया, टिटनस आदि टीके दिए जा रहे हैं।
- टीका न लेने से बच्चों को जान का जोखिम 90 फीसदी से भी ज्यादा रहता है। इन बच्चों की एंटीबॉडी विकसित नहीं हो पाती, जिससे इन्हें कुछ दिनों में ही निमोनिया की परेशानी होने लगती है। यह आगे चलकर जानलेवा हो जाता है।
- टीकाकरण बच्चों और वयस्कों के स्वास्थ्य की रक्षा करने का प्रभावी तरीका है।इसमें पेंटावेलेंट एक संयुक्त टीका भी दिया जाता है, जो डिप्थीरिया, टिटनस, पर्टुसिस, हीमोफिलस, इन्फ्लुएंजा टाइप बी संक्रमण और हेपेटाइटिस बी से बचाता है।
इसी साल के अंत तक सर्वाइकल कैंसर का टीका ‘मानव पेपिलोमावायरस’ कार्यक्रम (यूआईपी) में शामिल हो सकता है। अभी छह राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, यूपी, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में 9-14 वर्ष की आयु की लड़कियों को यह टीका लगेगा।
कोविड महामारी के बाद पूरी दुनिया में टीकाकरण अभियान प्रभावित हुआ है। 2021 की तुलना 2022 में 4 मिलियन से ज्यादा बच्चों को टीका लगाया गया था। इसके बाद भी कई मिलियन बच्चे ऐसे थे जो एक या एक से ज्यादा टीकों से चुक गये थे। इस कारण कई बच्चों का जीवन खतरे में आ गये हैं। इसका असर हुआ कि दुनिया भर में डिप्थीरिया व खसरे की बीमारियों का अचानक प्रकोप देखा जा रहा है।वहीं वैश्विक टीका कवरेज बेहतर हुआ है।5 में से 4 बच्चे पूरी तरह से टीका से कवर किए गये हैं।