• 30/03/2023

हिंडनबर्ग के बाद अब इन 2 रिपोर्ट्स ने बढ़ाई अडानी की मुसीबत, ग्रुप की इन कंपनियों के निवेशकों के लिए खतरे की घंटी!

हिंडनबर्ग के बाद अब इन 2 रिपोर्ट्स ने बढ़ाई अडानी की मुसीबत, ग्रुप की इन कंपनियों के निवेशकों के लिए खतरे की घंटी!

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साल 2023 उद्योगपति गौतम अडानी के लिए अच्छा नहीं रहा। साल की शुरुआत से ही शुरु हुई अडानी की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही है। हिंडनबर्ग रिपोर्ट से से उठा तूफान अभी थमा भी नहीं था कि अब द केन और रेटिंग एजेंसी फिच की रिपोर्ट ने ग्रुप की परेशानी बढ़ा दी है।

द केन ने अपनी रिपोर्ट में सवाल उठाया है कि अडानी ग्रुप के प्रमोटर्स ने गिरवी रखे गए शेयरों के बदले जो कर्ज लिया है शायद उसकी किस्तें नहीं चुकाई है। इस रिपोर्ट के आने के बाद से अडानी ग्रुप के शेयरों पर बुरा असर पड़ा है। ग्रुप के शेयरों में चल रहा उठाव पर एक बार फिर ब्रेक लग गया है। रिपोर्ट के बाद से ग्रुप के सभी 10 शेयरों में दो दिन से गिरावट जारी है। इस रिपोर्ट की वजह से अडानी समूह की कंपनियों को मार्केट कैप दो दिन में 1 बिलियन डॉलर से ज्यादा कम हो गया।

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हालांकि अडानी ग्रुप ने द केन की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों को सिरे से खारिज कर दिया है। ग्रुप का कहना है कि द केन की रिपोर्ट में जो दावे किए गए हैं वो पूरी तरह गलत है। अडानी ग्रुप का कहना है कि उसने 2.15 बिलियन डॉलर के मार्जिन-लिंक्ड शेयर-बैक्ड लोन को समय से पहले ही पूरी तरह से चुका दिया है। ग्रुप द्वारा जारी बयान में गया है कि अडानी पोर्ट्स, अडानी ग्रीन, अडानी एंटरप्राइजेज और अडानी ट्रांसमिशन के गिरवी रखे शेयर कम हुए हैं।

केन के अलावा रेटिंग एजेंसी फिच की रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप की परेशानी बढ़ा दी है। फिच ने अडानी ग्रुप की 2 कंपनियां अडानी ट्रांसमिशन और अडानी पोर्ट्स को हाई कन्टेजन रिस्क में रखा है। फिच के मुताबिक समूह के स्पॉन्सर के लेवल पर कंपनी संचालन की कमजोरियों के चलते दोनों कंपनियों के सामने जोखिम है। रिस्क इन कंपनियों के फाइनेंशियल फ्लेक्सिबिलिटी पर प्रतिकूल असर हो सकता है। फिच ने दोनों कंपनियों को निगेटिव रेटिंग ‘बीबीबी’ दी है।

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आपको बता दें अमेरिकी शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने अडानी ग्रुप के खिलाफ 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें उसने अडानी ग्रुप के ऊपर कई गंभीर आरोप लगाए थे। हिंडनबर्ग ने कहा था कि अडानी ग्रुप की सभी 7 प्रमुख लिस्टेड कंपनियों पर काफी ज्यादा कर्ज है। ग्रुप की सभी कंपनियों के शेयर 85% से ज्यादा ओवरवैल्यूड भी हैं। अडाणी ग्रुप ने शेयरों में हेरफेर की। अकाउंटिंग में धोखाधड़ी की गई है। अडाणी ग्रुप कई दशकों से मार्केट मैनिपुलेशन, अकाउंटिंग फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग कर रहा है।

हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों की वैल्यू में 80 फीसदी तक की गिरावट आई थी। जिसकी वजह से गौतम अडानी की नेटवर्थ 40 बिलियन डॉलर से भी कम हो गई थी और एक महीने में उन्हें 80 बिलियन डॉलर से ज्यादा का नुकसान हुआ था।