• 24/08/2023

ED का ऑनलाइन सट्टा ‘महादेव बुक’ केस में बड़ा खुलासा, कहा- नेताओं और बड़े अधिकारियों को जाता था ‘प्रोटेक्शन मनी’

ED का ऑनलाइन सट्टा ‘महादेव बुक’ केस में बड़ा खुलासा, कहा- नेताओं और बड़े अधिकारियों को जाता था ‘प्रोटेक्शन मनी’

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छत्तीसगढ़ में ऑनलाइन सट्टा कारोबार ‘महादेव बुक’ को लेकर प्रवर्नतन निदेशालय (ED) ने बड़ा खुलासा किया है। ईडी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया है कि छत्तीसगढ़ में यह अवैध कारोबार राजनीतिक संरक्षण के साथ चल रहा था। नेताओं इसके लिए संरक्षण राशि दी जाती थी। मामले में गिरफ्तार किया गया आरोपी ASI चंद्रभूषण वर्मा लाइजनर के तौर पर काम करता था। जो कि सतीश चंद्राकर के साथ मिलकर दुबई में रह रहे महादेव बुक के प्रमोटरों से हवाला के माध्यम से हर महीने भारी राशि प्राप्त करता था और उसे पुलिस अधिकारियों के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय से राजनीतिक रुप से जुड़े नेताओं को ‘सुरक्षा राशि’ के रुप में वितरित करता था। चंद्रभूषण को 65 करोड़ रुपये मिले, जिसे उसने बड़े अफसरों और नेताओं को रिश्वत दिया।

आपको बता दें ईडी ने इस मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस में ASI चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर, हवाला कारोबारी अनिल दमानी और सुनील दमानी को मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किया था। ईडी ने चारों आरोपियों को बुधवार को स्पेशल कोर्ट में पेश कर पूछताछ के लिए 6 दिन की रिमांड पर लिया है। अब ईडी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस ऑनलाइन संचालित इस सट्टे के कारोबार की सिलसिलेवार विस्तार से कहानी बताई है।

ईडी के अनुसार छत्तीसगढ़ पुलिस द्वारा दर्ज FIR के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग की जांच आरंभ की गई थी। इसके बाद विशाखापटनम पुलिस और अन्य राज्यों ने भी एफआईआर दर्ज किया है।

ईडी के मुताबिक महादेव बुक द्वारा ऑनलाइन पोकर, कार्ड गेम, चांस गेम, क्रिकेट, बैडमिंटन, टेनिस, फुटबॉल जैसे खेलों में ऑनलाइन सट्टा लगाने की सुविधा प्रदान करती थी। इसके अलावा तीन पत्ती, पोकर, ड्रैगन टाइगर, वर्चुअल क्रिकेट जैसे कार्ड गेम खेलने की सुविधा देती थी। यही नहीं भारत में होने वाले विभिन्न चुनावों पर भी सट्टा लगाया जाता था।

छत्तीसगढ़ के भिलाई के रहने वाले सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल इस ऑनलाइन महादेव बुक के प्रमुख प्रमोटर हैं जो कि दुबई से इसे संचालित करते हैं।

सट्टा लगाने विज्ञापन

महादेव बुक कई वेबसाइटों को मेंटेंन करती है और चैट एप्पस पर कई क्लोज ग्रुप का संचालन करती है। वे वेबसाइटों पर संपर्क नंबर का विज्ञापन करते हैं और लोगों को लाभ कमाने के लिए खेलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। ऐसे नंबरों पर केवल वाट्सअप के द्वारा ही संपर्क किया जा सकता है। इन नंबरों पर संपर्क करने पर उसे दो अलग-अलग कॉन्टेक्ट नंबर प्रदान किया जाता था। एक नंबर का उपयोग पैसा जमा करने और सट्टा लगाने, यूजर आईडी में पाइंट जमा करने के लिए किया जाता था। वहीं दूसरा नंबर वेबसाइट में संपर्क करने के लिए होता है जिससे आईडी में जमा किए गए पाइंट को नगद भुना सके।

आईडी आम तौर पर कई वेबसाइटों पर बनाई जाती हैं जैसे लेजर247, लेजरबुक247, बेटभाई, बेटबुक247, क्रिकेटबेट9। इसमें बेट लगाने के लिए बेटर्स की आवश्यकता थी इसके लिए अलग-अलग पैनल और ब्रांच बनाए गए थे। पैनल चलाने वालों का काम यूजर आई बनाना, आईडी वितरण और पैसों का लेन देन किया जाता है। इस पूरे खेल को ऐसे तरीके से तैयार किया गया था कि पैनल मालिक को नुकसान नहीं होता था। बल्कि शुरुआती लाभ के बाद यूजर को पैसे खोने की संभावना बनी रहती थी।

पैनल और ब्रांच की फ्रेंचाइजी देते थे।

सौरभ चंद्राकर औऱ रवि उप्पल पैनल और ब्रांच बनाकर छोटी फ्रेंचाइजी की तरह बेचा करते थे। वे इन पैनलों से होने वाला 80% लाभ खुद रखते थे। इस पैनल का एक मालिक और आमतौर पर 4 कर्मचारी होते हैं। एक व्यक्ति कई पैनल का मालिक हो सकता है।

बेनामी बैंक खातों और हवाला से होता था लेनदेन

सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल द्वारा दुबई में संचालित मुख्य कार्यालय को पैनल मालिक “एचओ” या “हेड ऑफिस” के रुप में सदर्भित करता था। हेड ऑफिस से ही पैनल मालिक के लिए प्रोफाइल तैयार की जाती थी, जो कि आगे यूजर्स की प्रोफाइल तैयार करते थे। यूजर्स ऑनलाइन साझा किए गए बेनामी खातों में पैसे जमा करते थे औऱ फिर उन्हें हेड ऑफिस द्वारा पैनलों में आवंटित किया जाता था। इन पैसों का भुगतान करने के लिए बेनामी बैंक खातों का उपयोग किया जाता था। ये बैंकखाते धोखाधड़ी से खोले गए थे।

दुबई स्थित सट्टे के हेड ऑफिस द्वारा साप्ताहिक शीट्स पैनल मालिकों के साथ साझा की जाती थी। जिसमें सभी बेट्स के सारे आंकड़े, लाभ या हानि के आंकड़े शामिल होते थे। बेट्स का परिणाम जो भी हो पैनल मालिक का इसमें 20% हिस्सा होता था। ये रकम बैंकिंग चैनल या हवाला के माध्यम से पैनल मालिकों को भेजी जाती थी।

बैंक खाते और व्हाट्सएप नंबर अक्सर बदले जाते थे। यही कहीं एफआईआर दर्ज होती है तो आमतौर पर छोटे स्तर के पंटर्स या पैनल ऑपरेटरों को ही गिरफ्तार किया जाता है। विदेश में बैठे मुख्य आरोपी अब भी भारतीय कानून प्रवर्तन एजेंसियों के पहुंच से बाहर हैं।

सहायता के लिए कॉल सेंटर खोले

प्रमोटर और पैनल ऑपरेटरों ने बड़ी संख्या में अनजान लोगों के नाम पर बैंक खाते खोले थे। जिसमें कि अधिकांश बैंक खाते सिर्फ छत्तीसगढ़ में ही खोले गए थे। दांव लगाने वाले लोगों और पैनल ऑपरेटरों की सहायता के लिए विदेश से एचओ द्वारा कई कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं।

पुलिस और नेताओं ने आंखें मूंद ली

ईडी का कहना है कि पुलिस और राजनेताओं ने अर्थव्यवस्था और युवाओं पर गैरकानूनी सट्टेबाजी के घातक प्रभाव को देखने के बावजूद भी अपनी आंखें मूंद ली है। भिलाई के युवा बड़ी संख्या में दुबई में जाते हैं और इसे ऑपरेट करने की ट्रेनिंग लेकर वापस भारत लौटे और खुद का पैनल खोला।

ईडी का कहना है कि जांच में पता चला है कि ASI चंद्रभूषण वर्मा छत्तीसगढ़ में मुख्य लाइजनर के रुप में काम कर रहा था। चंद्रभूषण सतीश चंद्राकर के साथ मिलकर दुबई में रह रहे महादेव बुक के प्रमोटरों से हवाला के माध्यम से हर महीने भारी राशि प्राप्त करता था और उसे पुलिस अधिकारियों के साथ ही मुख्यमंत्री कार्यालय से राजनीतिक रुप से जुड़े नेताओं को ‘सुरक्षा राशि’ के रुप में वितरित करता था।

चंद्र भूषण वर्मा को अब तक 65 करोड़ रुपये की नगद मिल चुके है। जिसमें उसने अपना हिस्सा रखकर बड़े पुलिस अधिकारियों और राजनीतिज्ञों को घूस दी।

ईडी ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि चंद्रभूषण वर्मा पुलिस में कोई सीनियर अधिकारी नहीं है लेकिन CM के सलाहकार विनोद वर्मा से रिश्ते और रवि उप्पल द्वारा दुबई से भेजे गए रिश्वत के पैसे से उसने वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने में सफलता प्राप्त की।

ASI वर्मा ने ईडी के सामने स्वीकार किया है कि वो बड़े शक्तिशाली लोगों से हर महीने रिश्वत की बड़ी रकम ले रहा था और दे रहा था। ASI वर्मा ने स्वीकार किया कि मई 2022 में पुलिस की कुछ कार्रवाई की बाद रिश्वत की रकम बढ़ा दी गई थी। ताकि मामलों को हल्का करें और अभियोजन की कार्रवाई को स्थानीय स्टेबाजों तक सीमित करने और भविष्य की कार्रवाईयों को रोका जा सके।

ईडी का कहना है कि गिरफ्तार आरोपियों ने मुख्यमंत्री कार्यालय से जुड़े उच्च अधिकारियों का नामों की जानकारी दी है, जिन्हें मासिक या नियमित आधार पर मोटी रकम रिश्वत के रुप में दी गई है।

ईडी ने बताया कि 21 अगस्त और 23 अगस्त को कई स्थानों पर तलाशी की गई। जिसमें बड़ी मात्रा में अपराधिक दस्तावेजों को जब्त किया गया है। गिरफ्तार किए आरोपियों ने अपनी भूमिका को माना है और जिन्हें रिश्वत दी गई है उनकी सूची दी है। आरोपियों को गिरफ्तार कर उन्हें PMLA की विशेष न्यायालय में पेश किया गया। कोर्ट ने चारों आरोपियों को पूछताछ के लिए 6 दिन की ईडी की कस्टडी में दिया है।