• 08/09/2022

अब ‘कर्तव्य पथ’ के नाम से जाना जाएगा दिल्ली का ‘राजपथ’, एक क्लिक में जानें इससे जुड़ा पूरा इतिहास

अब ‘कर्तव्य पथ’ के नाम से जाना जाएगा दिल्ली का ‘राजपथ’, एक क्लिक में जानें इससे जुड़ा पूरा इतिहास

Follow us on Google News

दिल्ली का राजपथ अब कर्तव्य पथ बन चुका है. इसे NDMC की मंजूरी भी मिल गई. गुरुवार को पीएम नरेंद्र मोदी इस कर्तव्य पथ का उद्घाटन भी करेंगे. साथ ही वह इंडिया गेट पर बन रही नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति का अनावरण भी करेंगे. ये गणतंत्र दिवस परेड का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है. राजपथ का नाम पहली बार नहीं बदला गया है, बल्कि इससे पहले भी इतिहास में इसका नाम बदला गया है. इसके अलावा इस रास्ते की कहानी काफी ऐतिहासिक है और इतिहास के पन्नों में इस रास्ते की कई कहानियां दर्ज हैं.

कहां से कहां तक राजपथ

राजपथ को भारत में सबसे महत्वपूर्ण सड़कों में से एक माना जाता है, यह वह जगह है जहां 26 जनवरी को वार्षिक गणतंत्र दिवस परेड होती है. जनपथ, जिसका अर्थ है “पीपुल्स वे” सड़क पार करता है. राजपथ पूर्व-पश्चिम दिशा में चलता है. दिल्ली के आर्थिक केंद्र कनॉट प्लेट से सड़कें उत्तर से राजपथ तक जाती हैं. रायसीना पहाड़ी पर चढ़ने के बाद, राजपथ सचिवालय भवन के उत्तर और दक्षिण ब्लॉकों से घिरा है. अंतिम में यह राष्ट्रपति भवन के द्वार पर समाप्त होता है. विजय चौक पर यह संसद मार्ग को पार करती है, और इंडिया गेट से आने पर भारतीय संसद भवन को दाईं ओर देखा जा सकता है.

नाम और इतिहास

1911 में ब्रिटिश शाही सरकार और वाइसरीगल प्रशासन ने निर्धारित किया कि ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य की राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित किया जाना चाहिए.  उसी समय नई दिल्ली जिले में निर्माण शुरू हुआ, जो भारतीय साम्राज्य की उद्देश्य-निर्मित प्रशासनिक राजधानी के रूप में काम करेगा. सड़क का निर्माण 1920 के आसपास हुआ था. इस सड़क को इडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने बनाया था. ये दोनों ब्रिटिशकाल में भारत के मशहूर आर्किटेक्ट माने जाते थे. इन दोनों ने दिल्ली की इमारतों और सड़कों को बनाने का काम सरदार नारायण सिंह को दिया था. सरदार नारायण सिंह ने ही इसका ठेका लिया था. उस दौर में नारायण सिंह ने बहुत ही मजबूत और किफायती सड़क बनाईं. राजपथ के आसपास की अधिकांश इमारतों को लुटियंस और हरबर्ट बेकर ने डिजाइन किया गया था.

नामकरण

साल 1911 में तब दिल्ली दरबार में शामिल होने के लिए किंग जॉर्ज पंचम भारत आए थे. उसी समय कोलकाता की जगह दिल्ली को भारत (ब्रिटिश शासन) की राजधानी बनाने की घोषणा हुई थी. इसलिए अंग्रेजों ने किंग जॉर्ज पंचम के सम्मान में इस जगह का नाम किंग्सवे रखा था. किंग्सवे नाम सेंट स्टीफेंस कॉलेज के इतिहास के प्रोफेसर पर्सिवल स्पियर ने दिया था. किंग्सवे का मतलब ‘राजा का रास्ता’ होता है. यह नाम  लंदन में किंग्सवे के समान था, जिसे 1905 में खोला गया था और एक कस्टम-निर्मित धमनी सड़क भी थी, जिसका नाम जॉर्ज पंचम के पिता एडवर्ड सप्तम (यूनाइटेड किंगडम के राजा के रूप में) के सम्मान में रखा गया था.

1950 की पहली गणतंत्र दिवस परेड इर्विन स्टेडियम में हुई थी जिसे आज नेशनल स्टेडियम के नाम से जाना जाता है. साल 1955 से राजपथ 26 जनवरी परेड का स्थायी स्थल बन गया. उसके बाद हर गणतंत्र दिवस पर राज पथ पर बहुत ही धूमधाम से 26 जनवरी मनाया जाता है. 1955 में राष्ट्रपति भवन से लेकर इंडिया गेट तक 3 किमी तक राजपथ नए और भव्य रूप में बनकर तैयार हो चुका था, और तब से यहीं से परेड निकाली जाने लगी.

राजपथ से कर्तव्य पथ

भारत की स्वतंत्रता के बाद सड़क को अंग्रेजी नाम के स्थान पर हिंदी नाम ‘राजपथ’ दिया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी साल पंद्रह अगस्त को लाल किले से एलान किया था कि आजादी के अमृत महोत्सव काल में हमे गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलना होगा. इसी के तहत अब राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया है. केंद्र सरकार के बहुप्रतीक्षित प्रोजेक्ट सेंट्रलविष्टा के फेज वन का उद्घाटन गुरुवार को प्रधानमंत्री करने वाले हैं. इसके बाद यह आम लोगों के लिए 9 सितंबर से खोल दिया जाएगा.