- 12/01/2023
शिक्षा मंत्री की जीभ काटने वाले को दूंगा 10 करोड़ का इनाम, रामचरित मानस पर विवादित बयान से भड़के जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने किया ऐलान
हिन्दू धार्मिक ग्रंथ रामचरित मानस (Ramcharitmanas) पर बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा की गई टिप्पणी ने एक नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। मंत्री के बयान पर संत समाज नाराज है। अयोध्या के संत जगद्गुरु परमहंस आचार्य ने मंत्री को उनके पद से बर्खास्त करने की मांग की है। इसके साथ ही मंत्री से भी माफी मांगने के लिए लिए कहा है। माफी नहीं मांगने पर उन्होंने 10 करोड़ का इनाम देने का ऐलान किया है।
संत ने कहा, ”बिहार के शिक्षा मंत्री ने जिस तरह से रामचरितमानस ग्रंथ को नफरत फैलाने वाली किताब बताया है उससे पूरा देश आहत है। यह सभी सनातनियों का अपमान है। मैं इस बयान पर कानूनी कार्रवाई की मांग करता हूं। उन्हें पद से बर्खास्त किया जाए। एक सप्ताह के भीतर मंत्री को माफी मांगनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो मैं बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर की जीभ काटने वाले को 10 करोड़ रुपये का इनाम देने की घोषणा करता हूं।”
उन्होंने कहा कि इस तरह की टिप्पणी को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रामचरितमानस तोड़ने वाला नहीं, जोड़ने वाला ग्रंथ है। यह मानवता की स्थापना करने वाला ग्रंथ है। यह भारतीय संस्कृति का स्वरूप है, यह हमारे देश का गौरव है। रामचरितमानस पर इस तरह की टिप्पणी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
ये है मंत्री का विवादित बयान
आपको बता दें कि बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने बुधवार को रामचरित मानस पर विवादित बयान देते हुए नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया था। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस को जला देना चाहिए। रामचरितमानस, मनुस्मृति और आरएसएस के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवरकर के बंच ऑफ थॉट्स ने समाज में नफरत फैलाई है।
नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के 15 वें दीक्षांत समारोह में शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर छात्रों को संबोधित कर रहे थे। उऩ्होंने कहा, “मनुस्मृति को क्यों जलाया गया, क्योंकि उसमें एक बड़े तबके को बहुत सारी गालियां दी गई थीं। रामचरितमानस का विरोध क्यों किया गया और किस हिस्से का विरोध किया गया? इसमें निचली जाति के लोगों को शिक्षा प्राप्त करने की अनुमति नहीं थी। रामचरितमानस में कहा गया है कि जिस तरह दूध पीकर सांप जहरीला हो जाता है, वैसे ही निचली जाति के लोग शिक्षा पाकर जहरीले हो जाते हैं।”
उन्होंने कहा, “मनुस्मृति, रामचरितमानस, गुरु गोलवलकर की बंच ऑफ थॉट्स है, ये किताबें ऐसी किताबें हैं जो नफरत फैलाती हैं। नफरत से देश महान नहीं बनेगा, प्यार से देश महान बनेगा।”